Published On : Fri, Aug 5th, 2022

वित्तीय संकट में मनपा के ठेकेदार,दिया कामबंद का अल्टीमेटम

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– पिछले 6 माह से मनपा में प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी नहीं,इस सम्बन्ध में एक शिष्टमंडल उपमुख्यमंत्री से मिला

नागपुर – पिछले 6 माह से नागपुर महानगरपालिका में प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी न होने से सम्पूर्ण व्यवस्था लड़खड़ा गई है,खास कर विकासक,अर्थात ठेकेदार वर्ग काफी क्षुब्ध हैं.इन ठेकेदारों को लगभग 300 करोड़ देने हैं.प्रशासन को बारंबार इस ओर ध्यानाकर्षण करवाने के बाद उनके कानों पर जूं नहीं रेंगने से ठेकेदार वर्ग ने काम बंद करने का इशारा किया हैं.

मनपा की सबसे चर्चित सीमेंट सड़क फेज -2 घोटाले,जिसकी सुनवाई लोकायुक्त के दर हो चुकी,जिसकी लीपापोती मनपा प्रशासक कर रहे तो दूसरी ओर स्टेशनरी घोटाले को बड़ा आकर देकर कइयों को जेल तो कुछ को घर बैठा दिया गया. इससे भी बड़ी सीमेंट सड़क घोटाला थी,मुख्य ठेकेदार कौन सह ठेकेदार के व्यक्तिगत खाते में मनपा के वित्त व पीडब्लूडी के आला विवादास्पद अधिकारियों ने करोड़ों का भुगतान कर दिया।

स्टेशनरी घोटाले में तत्कालीन मुख्य लेखा व वित्त अधिकारी के खिलाफ भी मामला दर्ज करवाया गया था,उसी के कुछ दिनों बाद उनका सेवानिवृत्ति भी हो गई थी.तब से अब तक मनपा में प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी नहीं है,नासुप्र के सम्बंधित अधिकारी को प्रभारी जिम्मेदारी दी गई,लेकिन उससे भी मनपा का मसला सुलझ नहीं रहा.

उक्त मांग को लेकर ठेकेदार वर्ग राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर,मनपा के लिए स्थाई प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी की मांग की लेकिन सरकार की अस्थिरता की वजह से मामला आज भी अधर में लटका हुआ हैं.

ठेकेदार वर्ग का कहना है कि मनपा का बजट 2000 करोड़ का हैं,विकास कार्यो के लिए बजट का प्रावधान किया गया था,जो काम पूर्ण हो चुके है और उसमें कोई तकनीकी अड़चन नहीं है,ऐसे कामों के बिल का भुगतान करने में मनपा प्रशासक आनाकानी कर रही हैं.मनपा प्रशासक की इस नीति से ठेकेदार वर्ग गहरे संकट में आ गए हैं.

उल्लेखनीय यह है कि टेंडर जारी करते वक़्त अनेकों नियम-कानून लाधे जाते है,विकास कार्य पूर्ण करने के लिए समय मुकर्रर की जाती हैं.देरी हुई तो दंड वसूली जाती है. लेकिन समय पर गुणवत्तापूर्ण काम करने के बाद समय पर भुगतान करने का कोई प्रावधान प्रशासन के पास नहीं।

विभाग निहाय काम पूर्ण होने के बाद सम्बंधित अधिकारी अपनी मनमर्जी व सुविधा अनुसार बिलों का भुगतान करवाने में रुचि लेते देखे गए.बिना लेन-देन के एक भी बिल का भुगतान न किया जाना,मनपा प्रशासन की आदत बन चुकी,इसके बावजूद ठेकेदार वर्ग मनपा प्रशासन की नीति से काफी दुखी हैं.