Published On : Sat, Jul 21st, 2018

मानसून अधिवेशन पर नागपुर टुडे की समीक्षा – सत्र की तेरहवीं निपटा कर चलते बने सभी

Advertisement

नागपुर: आखिरकार ४७ वर्ष बाद नागपुर में हुआ महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून अधिवेशन खत्म हुआ. १३ दिनों तक चले इस सत्र में विपक्ष ने हंगामे के साथ वर्तमान सरकार के मेनिफेस्टो को साढ़े ३ साल में पूर्ण न करने का आरोप भी लगाया। हालांकि सरकार के मंत्री और नुमाइंदों ने उसका ठोस जवाब देने के बजाय विपक्ष की पिछली १५ वर्ष की सरकार के कार्यकाल की खामि

यां गिनवाने और उनके विपक्ष में बैठने पर मजबुरियत का बखान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

यह भी कड़वा सत्य हैं कि कांग्रेस और उनके सहयोगी दल ग्रामीण,गरीब, नपढ़,शोषित,अल्पसंख्यक,अनुसूचित जाति व जमाती तो सत्ताधारी भाजपा और उनके सहयोगी शहरी,शिक्षित,व्यापारी सह विशेष तबके को साथ ही नहीं लेकर चलती बल्कि उनके हितों – स्वास्थ्य की चिंता भी करने में कोई कोताही नहीं बारतती।

कुल मिलाकर पक्ष – विपक्ष दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू नजर आए. पक्ष और विपक्ष में रहने पर राजनीति में जिंदा रहने का तरीका बस बदल जाया करता है। मानसून अधिवेशन में विधानसभा और विधान परिषद की गरिमा और महत्ता कम करने में कोई कम नहीं था,सत्तापक्ष की जिम्मेदारियां अधिक होती हैं इसलिए आरोप उनपर ‘२०’ लगना जायज है। मानसून अधिवेशन के १३ दिन में आम नागरिकों के द्वारा जमा कर से एक तेरहवीं का जलसा हुआ और खत्म होते ही सब अपने अपने गंतव्य स्थान की ओर खुद की पीठ थपथपाते निकल लिए।

अधिवेशन से संबंधित झलकियां:
– ५ लाख करोड़ का कर्ज सरकार पर होने का मामला प्रकाश में आया।
– निधि के अभाव में अधिकांश प्रकल्प अधर पर होने का आरोप।
– सत्तापक्ष पर प्रशासन हावी
– पदाधिकारी से ज्यादा अधिकार अधिकारी वर्ग से होने से जनप्रतिनिधियों की इज्जत से हो रहा खिलवाड़।
– सभागृह में संबंधित विषय से संबंधित मंत्री हमेशा रहे नदारत।
– शिवसेना विधायक अकारण हीरो बनने की कोशिश करते रहे,जबकि वे सत्तापक्ष के सहयोगी है।
– हाल ही में जेल से लौटे छगन भुजबल के सवाल से बौखला गए वित्त मंत्री सुधीर मुंगात्तीवार और आपा खोकर कह दिया इनकी जगह जेल ता बेड पर ही हैं।

– सेना और भाजपा विधायक के मध्य हाथापाई की नौबत आन पड़ी।
– विस अध्यक्ष की गरिमा इतनी कम हो गई कि चालू सत्र में उनके निकट जाकर कांग्रेस अब्दुल सत्तार ने ललकारा और उन्होंने भी पद की गरिमा न रखते हुए असंवैधानिक शब्द कहने में हिचकिचाए नहीं।
– इस अधिवेशन में जनप्रतिनिधियों का टारगेट राजदंड भी रहा।

– उत्तेजित गोपाल अग्रवाल जो समिति प्रमुख भी है,कामकाज के दौरान फटकार भी खाए और नजरअंदाज भी किए गए।
– नागपुर के केदार सिर्फ उपस्थिति दर्ज करवाते दिखे।उन्हें मूल गांव सह विस क्षेत्र में आज भी खुले में शौच आदि अनगिनत समस्या छोड़ नागपुर मनपा का मामला उठाये लेकिन असफल रहे.

– कुछेक विपक्षी विधायक सत्तापक्ष के मंत्रियों की चापलूसी करते भी पाए गए।
– क्लीनचिट स्पेशलिस्ट मुख्यमंत्री ने इस अधिवेशन में दर्जनों को क्लीनचिट देकर अपना दबदबा कायम रखा।
– नागपुर मनपा की आर्थिक हालात पर मुख्यमंत्री बखूबी चुप्पी साध गए।

– सहकार मंत्री अधिकांश शांत दिखने वाले मंत्री रहे लेकिन इस बार विरोधियों की परत दर परत खिंचाई कर सबको चकित कर दिया।
– विपक्ष के अजीत पवार और पृथ्वीराज चौहान का सभागृह में आज भी सभी ने सम्मान किया,फिर चाहे मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ही क्यों न हो।
– आदित्य ठाकरे के विधान सभागृह के दर्शक दीर्घा में प्रवेश करते ही शिवसैनिक विधायक फूल चार्ज हो गए थे।
– सुरक्षा में सेंध थी,गुटके सह तम्बाकू जन्य पदार्थ आसानी से अधिकृत कर्मियों के जरिए विधानसभा परिसर में आ रही थी.
– अधिवेशन का पास बनाने के लिए अधिकृत विभाग ने सैकड़ों में अनावश्यक लोगों के पास निर्माण किये।

– मुख्यमंत्री अपनों के मामले में या तो उनका भलीभांति बचाव किये या फिर विषय पर चुप्पी साध मामला दबा दिए.
– एनसीपी अंत तक पूछती रह गई नागपुर में मानसून अधिवेशन लेने का कारण।
– कांग्रेस के युवा विधायकों में नितेश उग्र दिखे लेकिन अंतिम दिनों में हताश होकर सभा त्याग कर बाहर चले गए.
– विश्वजीत कदम की विधानसभा में ओपनिंग फीकी रही.
– आशीष देशमुख के समक्ष ऊर्जामंत्री नतमस्तक तो मुख्यमंत्री की सराहना,घोर आश्चर्य।
– सर्वपक्षीय लाड़ली मंत्री पंकजा मुंडे से सभी करते रहे गुजारिश।
– अधिवेशन के अंतिम दिन डॉक्टर संजय कुंटे सत्तापक्ष के मंत्री व विधायकों से नगदी कलेक्शन करते दिखे।
– नागपुर जिले में रहने वाले विधायकों का अधिवेशन में चुप्पी भी रही चर्चा में.

मानसून सत्र का मेन ऑफ द मैच मुख्यमंत्री रहे तो मेन ऑफ द सीरीज सहकार मंत्री सुभाष देशमुख रहे.अंततः फिर मिलेंगे १९ नवम्बर २०१८ को कहकर सभी अपने गंतव्य स्थल की ओर रवाना हो गए.