Published On : Wed, Nov 8th, 2017

नोटबंदी के मसले पर लोग अब भी कर रहे हैं मोदी का सपोर्ट

Advertisement


नोटबंदी को एक साल पूरा हो चुका है. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी.इसके बाद बड़े नोट को चलन से बाहर करने पर सरकार की काफी आलोचना हुई. एक ओर जहां सरकार लगातार नोटबंदी को सफल बता रही है, वहीं विशेषज्ञ और विपक्ष नोटबंदी को बुरी तरह फेल मान रहे हैं. नोटबंदी की सफलता और असफलता को लेकर अब भी बहस जारी है. लोगों में हालांकि नोटबंदी को लेकर मोदी का सपोर्ट करने की अब भी होड़ मची है.

नोटबंदी के शुरुआती महीनों में तो कैश की तंगी के कारण लोगों ने बहुत कैशलेस लेन-देन किए, लेकिन बाजार में नकदी उपलब्ध होते ही इनकी संख्या काफी गिर गई. विशेषज्ञों ने तो जॉब संकट, GDP गिरने और छोटे कारोबार की तबाही के लिए इसे जिम्मेदार बताया लेकिन ईटी के एक सर्वे में लोग मोदी के इस कदम की तारीफ कर रहे हैं. नोटबंदी के एक साल पूरा होने के मौके पर ईटी.कॉम ने एक ऑनलाइन सर्वे कराया जिसमें 38 फीसदी से ज्यादा लोगों ने इसे सफल बताया. ईटी ने इस सर्वे में 10,000 से ज्यादा लोगों से बात की.

ईटी ने इस सर्वे में 10,000 से ज्यादा लोगों से बात की.

Gold Rate
09 May 2025
Gold 24 KT 96,800/-
Gold 22 KT 90,000/-
Silver/Kg 96,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

सर्वे में सिर्फ 26 फीसदी लोगों ने कहा कि लंबी अवधि में नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. 32 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे इकनोमी पारदर्शी बनेगी, जबकि 42 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ नुकसान होगा, लेकिन अर्थव्यवस्था ज्यादा मजबूत होकर उभरेगी.


रोजगार पर नोटबंदी के असर के बारे में सिर्फ 23 फीसदी लोगों ने कहा कि इसका लंबी अवधि में भी रोजगार की संभावनाओं पर बुरा असर पड़ेगा. 45 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे छोटी अवधि में रोजगार की दिक्कत बढ़ेगी, जबकि 32 फीसदी ने कहा कि इससे जॉब पर कोई असर नहीं पड़ा है. सर्वे में शामिल 77 फीसदी लोगों का मानना है कि लंबी अवधि में इससे रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा.


यह समझ नहीं आ रहा है कि किस वजह से नोटबंदी के फैसले के बाद भी लोग मोदी के साथ हैं, या कहीं विपक्ष उन्हें गलत आंकने की गलती तो नहीं कर रहा है. लोग इस मसले को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों के तहत ही मानते हैं.


इससे जुड़ा एक सवाल हमने पूछा-अगर मोदी 2000 रुपये का नोट अभी बंद कर दें तो इससे अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? 56 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे काले धन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. 31 फीसदी ने कहा कि इससे आर्थिक विकास कमजोर पड़ेगा. 13 फीसदी ने कहा कि इससे ईमानदार कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा. इसका मतलब यह है कि अगर मोदी एक बार फिर नोटबंदी कर दें तो उन्हें लोगों का समर्थन मिलना तय है.

नोटबंदी की तमाम आलोचनाओं के बाद भी मोदी लोगों को यह भरोसा दिलाने में सफल रहे कि यह लोगों के हक़ में लिया गया फैसला था. नोटबंदी के पीछे मोदी का मकसद क्या था-जवाब में 71 फीसदी लोगों ने कहा कि उनका मकसद काले धन पर रोक लगाना था.


15 फीसदी ने कहा कि उनका मकसद गरीबों को लुभाना था जबकि 14 फीसदी ने माना कि इसका उद्देश्य लोगों का ध्यान साम्प्रदायिक मुद्दों से हटाना था.


सर्वे में यह समझ आया कि नोटबंदी से भले ही छोटी अवधि में लोगों को दिक्कत हुई, लेकिन इसका उद्देश्य काले धन पर रोक लगाना था और मोदी ने जन भावनाओं के हिसाब से काम किया. इसने अर्थव्यवस्था को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाया है.

लोगों के समर्थन का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नोटबंदी के बाद यूपी के विधानसभा चुनाव में मोदी को जबरदस्त जीत हासिल हुई. अगर नोटबंदी के मसले पर लोगों का मोदी को सपोर्ट ऐसे ही जारी रहता है तो यह समझना चाहिए कि जो इस मुद्दे की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद अपनी जमीन ख़राब कर रहे हैं.

Advertisement
Advertisement