Published On : Wed, Nov 8th, 2017

श्रमिकों के लिए जमा 29,000 करोड़ के कोष में से ख़रीदे गए लैपटॉप-वॉशिंग मशीन, सुप्रीम कोर्ट हैरान

Advertisement

Notes
नई दिल्ली: निर्माण श्रमिकों के हितों पर खर्च के लिए एकत्र 29,000 करोड़ रुपये के कोष में से लैपटॉप और वॉशिंग मशीन खरीदे जाने और वास्तविक उद्देश्य पर केवल 10 प्रतिशत राशि ही खर्च होने की बात सामने आने पर सर्वोच्च न्यायालय ने रविवार को हैरानी जताई है.

सर्वोच्च न्यायालय ने हैरानी जताते हुए इसे बहुत चिंता पैदा करने वाला कार्य बताया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निर्माण श्रमिक कानून के तहत उपकर लगाकर सरकार द्वारा एकत्रित धन को लाभार्थियों के कल्याण पर खर्च किए जाने के बजाय बर्बाद किया गया और दूसरे कामों में लगाया गया.

जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने केंद्रीय श्रम सचिव को 10 नवंबर से पहले न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया है. साथ ही यह बताने को कहा है कि यह अधिनियम कैसे लागू किया और क्यों इसका दुरुपयोग हुआ.

Gold Rate
Saturday 22 March 2025
Gold 24 KT 88,100/-
Gold 22 KT 81,900 /-
Silver / Kg 98,000 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

इससे पहले न्यायालय के कहने पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल किया था, जिसमें हैरान करने वाली जानकारी दी गई थी. कैग ने बताया कि निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए एकत्र धन से उनके लिए लैपटॉप और वॉशिंग मशीन खरीदे गए.

इससे पहले कोर्ट ने कैग से रिपोर्ट के ज़रिये यह बताने को कहा था कि निर्माण श्रमिकों के लिए एकत्र किए गए धन का प्रयोग कैसे और कहां हो रहा है.

नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर सेंट्रल लेजिस्लेशन ऑन कंस्ट्रक्शन लेबर नाम के गैर सरकारी संगठन ने जनहित याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के कल्याण के लिए रीयल एस्टेट कंपनियों से उपकर लगाकर पूंजी एकत्र की गई थी. उन्होंने कहा था कि इस पूंजी का सही से इस्तेमाल नहीं हो रहा है क्योंकि लाभ देने के लिए लाभार्थियों की पहचान के लिए कोई तंत्र नहीं है.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा राज्यों या कल्याणकारी बोर्डों द्वारा निर्माण श्रमिकों का और शोषण नहीं होना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने बिल्डिंग और अन्य निर्माण श्रमिकों के लिए एकत्र किए गए धन के उपयोग के संबंध में (रोजगार नियमन और सेवा की शर्तों) अधिनियम, 1996 के अंतर्गत कैग की रिपोर्ट को हैरान करने वाला बताया.

कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि यह आश्चर्यजनक है कि खर्च को श्रमिकों के लिए वॉशिंग मशीन और लैपटॉप ख़रीदने के लिए दिखाया गया है. कोर्ट ने कहा, ‘यह काफी स्पष्ट है कि इन पैसों का उपयोग कहां और कैसे हुआ है, यह सही-सही दिखाया नहीं जा रहा.’

कोर्ट ने कहा, ‘इसके अलावा हम पाते हैं कि प्रशासनिक खर्चों पर बड़ी मात्रा में खर्च किया गया है, जबकि क़ानून प्रशासनिक खर्चों के लिए केवल पांच प्रतिशत व्यय की अनुमति देता है.’

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है, क्योंकि लाभार्थियों, जो कि निर्माण कार्यकर्ता थे, उन्हें लाभ नहीं दिए गए थे और एकत्रित धन श्रम कल्याण बोर्डों या राज्य सरकारों को दूसरे प्रयोजनों के लिए भेजा जा रहा था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है, क्योंकि लाभार्थियों निर्माण श्रमिकों को वह लाभ नहीं दिया गया, जिसके वो हकदार थे.

न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए टिप्पणी की कि निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए भारी मात्रा में इस क्षेत्र से 29,000 करोड़ रुपये एकत्र किए गए और उसका दस प्रतिशत भी निर्माण श्रमिकों के कल्याण पर नहीं खर्च किया गया. न्यायालय ने 2015 में भी नाराज़गी जताई थी कि 26,000 करोड़ रुपये की विशाल राशि बिना खर्च किए पड़ी है.

Advertisement
Advertisement