Published On : Wed, Jul 26th, 2017

बिहार में मोदी औऱ लालू जीते, शर्मनाक हार नीतीश की हुई!

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अंततः, जीत नरेंद्र मोदी की हुई ।उन्होंने परोसी थाल छिन लेने का बदला नीतीश से ले लिया।अपनी उस बात को भी साबित कर दिया जिसमें उन्होंने नीतीश के डीएनए पर सवाल खड़े किये थे।मोदी ने साबित कर दिया कि नीतीश के डीएनए में दोष है।हाँ, ये सब साबित हो गये जब नीतीश के जदयू और भाजपा ने बिहार में मिलकर सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने की घोषणा की।

तो क्या लालू का आरोप सही है कि नीतीश और भाजपा की सांठगांठ पहले से थी?भाजपा नीतीश के साथ किसी “डील” के तहत महागठबंधन को ना केवल बिहार में तोड़ना चाहती थी बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन के विस्तार को रोकना भी चाह रही है।सच यही है।नीतीश को मोहरा बना भाजपा ने अपनी रणनीति को सफलता दिला दी।जिस वेग के साथ, भाजपा-जदयू ने सरकार बनाने का दावा पेश करने का ऐलान किया उससे साफ है कि ये सब अचानक नहीं, बल्कि एक पूर्व नियोजित साजिश को अच्छी तरह सोच-समझ कर अंजाम दिया गया है।

बिहार में हार लालू की नहीं, शर्मनाक हार नीतीश की हुई है।अब नीतीश सिर उठाकर बिहार में नैतिकता, ईमानदारी,सुशासन के नाम पर राजनीति नहीं कर पायेंगे।उनकी पहचान अब एक घोर सत्तालोलुप, अवसरवादी ,कमजोर राजनेता की बन गई है।

अब जब कि नीतीश का राजनीतिक डीएनए संदिग्ध चिन्हित हो चुका है, ये देखना दिलचस्प होगा कि”संघ मुक्त भारत” के अपने स्वप्न को नीतीश पूर्णतः त्याग देंगे या फिलहाल उसे कहीं ढक कर रखेंगे?ये देखना भी दिलचस्प होगा कि कथित साम्प्रदायिक भाजपा-संघ के साथ धर्मनिरपेक्ष नीतीश कुमार कबतक कितनी दूर तक कदमताल कर पाएंगे?

अनिश्चित राजनीति का जो विद्रूप रूप बिहार में उदित हुआ है, वो अभी अनेक पेंच लेकर सामने आएगा, ये तय है।नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया….बिहार विधानसभा में लालू का राजद सबसे बड़ा दल है… कायदे से, कानूनन और परंपरा के अनुसार वैकल्पिक सरकार के लिए राज्यपाल को चाहिए कि राजद को आमंत्रित करें!लेकिन देश की वर्तमान शासन-व्यवस्था ,कानून-परंपरा और नैतिकता से कोसों दूर है!
फिर, अपेक्षा ही बे-मानी है!!

एस एन विनोद की कलम से