Published On : Wed, Jun 13th, 2018

जनता की जेब से पैसा निकालकर मोदी सरकार 15-20 लोगों की ज़ेब भर रही है – राहुल गाँधी

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चंद्रपुर: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने बुधवार को चंद्रपुर जिले के नांदेड़ गाँव में कृषिभूषण दादाजी खोब्रागडे के परिवार से मुलाक़ात की। चावल के ख़ास किस्म के बीज़ एचएमटी का शोध करने वाले दादाजी का बीते दिनों निधन हो गया था। उनके परिवार को सांत्वना देने राहुल उनके पैतृक गाँव पहुँचे थे। इस दौरान उन्होंने किसानों के साथ चौपाल कर उनकी समस्याएँ जानी और पूछे गए सवालों के ज़वाब भी दिए। इस दौरान राहुल गाँधी ने कहाँ की केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों की चिंता नहीं है।

उन्हें चिंता तो सिर्फ़ देश के 15-20 लोगों की है जो उद्योगपति है। प्रधानमंत्री अपने गृह नगर के जिस व्यापारी को नीरव मोदी को भाई नीरव कहते है वो देश का 35 हज़ार करोड़ रूपए लेकर भाग गया। लेकिन वो अब तक चुप है। देश के उद्योगपतियों का सरकार ढाई लाख करोड़ रूपए का कर्जा माफ़ कर सकती है लेकिन किसानों का कर्ज माफ़ करने की हिम्मत प्रधानमंत्री में नहीं है।

सरकार देश के कुछ लोगो को संपन्न करने में लगी है। पेट्रोल के दाम अंतरास्ट्रीय बाज़ार में कम है बावजूद इसके देश में दाम बढ़ रहे है। दरअसल ये सब इसलिए हो रहा है कि कुछ लोगों को और संपन्न किया जाये। एक तरह से आम आदमी की जेब से पैसा निकालकर इन्ही उद्योगपतियों को दिया जा रहा है। आज देश में किसान परेशान है उसकी तरफ़ ध्यान नहीं दिया जा रहा।

राहुल गाँधी की ख़ास बातें जो उन्होंने किसानों से कहीं

राहुल गाँधी के मुताबिक प्रधानमंत्री की 15-20 उद्योगपतियों पर इस मेहरबानी का कारण इनके बीच एक ख़ास किस्म का सौदा है। जिसके तहत ये लोग मोदी की मार्केटिंग करते है बदले में उन्हें आर्थिक फ़ायदा मिलता है।

कर्नाटक में हमारी सरकार ने किसानों का कर्ज माफ़ किया इसी तरह का काम पंजाब में भी किया गया। लेकिन इस सरकार में किसानों का कर्ज माफ़ करने की हिम्मत नहीं। महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद यहाँ भी किसानों का कर्ज माफ़ करने का वादा राहुल गाँधी ने किया।

नीरव मोदी का 35 हज़ार करोड़ का कर्ज माफ़ किया गया लेकिन उसने कितने लोगों को रोजगार दिया। इसका ज़वाब किसी के पास नहीं है। लेकिन अगर सिर्फ 5 करोड़ रूपए दादाजी खोब्रागड़े को दिए गए होते तो वो कम से कम 50 हज़ार रोज़गार के अवसर पैदा करते।

देश में आवश्यकता हर जिले में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट खुले जिससे किसान सीधे अपना सामान बेचे,और उपयुक्त मुनाफ़ा कमाये।

देश में कितनी साइंटिफिक लैब है बावजूद एक व्यक्ति सीमित संसाधन में अपने घर पर शोध कर एक नए बीज तैयार करता है। सरकार की अगर मदत मिलती तो वो बहुत कुछ कर सकते है। मै ऐसे लोगों को ढूंढ रहा हूँ और उनकी मदत करुँगा। जिनको हिंदुस्तान भूल गया है उन तक पहुँचकर मदत दी जायेगी।

दादाजी खोब्रागड़े के पास 108 अवार्ड घर में रहे है। बावजूद इसके वो छोटे से घर में सादा जीवन जीते रहे। उन्हें मदत मिलनी चाहिए थी जो सरकार ने नहीं की।