Published On : Fri, Nov 12th, 2021

गलती DIMTS की और भिड़ंत अधिकारी व पदाधिकारी में

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– मिला था निर्देश आरक्षित गाड़ियां किराए पर देने का और दे दिया गया कम आय वाली रूटीन बसों को,यात्री हलाकान

नागपुर – मनपा में सत्तापक्ष द्वारा किये जाने वाले आंदोलन के लिए आंदोलनकारियों के आवाजाही के लिए मनपा परिवहन विभाग प्रमुख अर्थात TRANSPORT MANAGER से 60 बसों की मांग की गई थी,इन्होंने परिवहन व्यवस्था संचलन करने वाली DIMTS को निर्देश दिए कि RESERVE BUSES में से किराए पर 60 बसें दे दीजिए।लेकिन DIMTS ने निर्देशों को दरकिनार कर बिना TRANSPORT MANAGER को विश्वास में लिए LOW ROUTE (कम आय वाली मार्ग) के बसों को सार्वजानिक सूचना के बगैर सत्तापक्ष के आंदोलन के लिए दे दिया,जो बाद में विवाद का विषय बन गया.इसकी तह में जाने के बजाय आयुक्त के निर्देश पर अतिरिक्त आयुक्त ने TRANSPORT MANAGER आदि को SHOW CAUSE NOTICE थमा दिया,NOTICE का जवाब मिलने के बाद मामला तो शांत हो गया लेकिन मुख्य दोषी DIMTS पर कोई कार्रवाई न करना उनके कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठना शुरू हो गई.

किसे दे या न दे कोई नियमावली नहीं
सूत्र बताते हैं कि मनपा प्रशासन के तहत किसे बसें किराया पर देना हैं या नहीं देना हैं कोई अधिकृत नियमावली नहीं।इसलिए परिवहन विभाग RESERVE 76 BASES जो हमेशा खड़ी रहती है,EMERGENCY में इनका उपयोग किया जाता हैं,ऐसे बसों को समय-समय पर होने वाली मांग के दौरान किराए पर दिया जाता हैं.इसी आधार पर TRANSPORT MANAGER ने प्रति बस 3000 रूपए के हिसाब से 60 बसें किराये पर दिए थे.जब उन्होंने (सत्तापक्ष) अग्रिम कुल राशि अर्थात 180000 रूपए जमा करवा दिए तब TRANSPORT MANAGER ने DIMTS को 76 RESERVE BASES में से 60 BASES देने का निर्देश दिया था.

लेकिन DIMTS ‘चाय से ज्यादा केतली गर्म’ की तर्ज पर अपनी मनमानी करते हुए LOW ROUTE की 60 बसें कम कर किराये पर देकर उस मार्ग के यात्रियों को हलाकान करने के साथ ही मनपा प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया।

पुनः 100 बसों की मांग पर प्रशासन सकते में
सत्तापक्ष ने आगामी सप्ताह में पुनः एक आंदोलन के लिए मनपा से 100 बसों की मांग की.समाचार लिखे जाने तक ट्रांसपोर्ट प्रबंधक ने सतर्कता बरतते हुए आयुक्त की छुट्टी पर अतिरिक्त आयुक्त का इस ओर ध्यानाकर्षण करवाया,बसों के लिए सत्तापक्ष की ओर से अतिरिक्त आयुक्त से चर्चा भी की गई,क्यूंकि आयुक्त ने मनपा के आयुक्त का प्रभार नासुप्र के सभापति को देकर छुट्टी पर गए है,उन्होंने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया।दूसरी ओर यह भी चर्चा हैं कि विधानपरिषद के चुनाव की आचार संहिता के मद्देनज़र सत्तापक्ष का आंदोलन भी रद्द हो सकता हैं.गर इस बार भी बसें उपलब्ध करवाई गई होती तो मनपा को 3 लाख रूपए की आमदनी होती।