Published On : Tue, May 2nd, 2017

ज़मीन ख़रीद मामले में खड़से प्रत्यक्ष तौर पर शामिल – एमआयडीसी वकील

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Eknath Khadse
नागपुर : 
पुने स्थित भोसरी ज़मीन खरीद में हुए गैरव्यवहार की जाँच कर रही समिति के सामने एमआयडीसी की तरफ़ से वकील चंद्रशेखर जलतारे ने अपना युक्तिवाद पूरा किया। इस मामले में आरोपों से घिरे पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से की तरफ़ से उनके वकील एम जी भांगड़े अपनी बहस पूरी कर चुके है। अपनी अंतिम बहस में जलतारे ने कहाँ की प्राथमिक तौर पर इस प्रकरण में खड़से का सीधा सहभाग साफ़ दिखता है। एमआयडीसी के वकील ने समिति को खड़से द्वारा दिए गए बयान को आधार बनाते हुए समिति के सामने पक्ष रखा की खड़से ने ख़ुद पहले ऐसा बयान दिया था की जमीन के मालिक उकानी को जमीन की नुकसान भरपाई नहीं मिली है इसलिए उनके पास जमीन बेचने का अधिकार है। खड़से ने इस मामले में ख़ुद को फसता देख बहस के बाद अपना बयान बदल दिया जिसमें उन्होंने इस मामले की उन्हें जानकारी न होने की बात कही। खड़से द्वारा बयान बदलने से यह साफ़ होता है की वो कुछ छुपा रहे है।

जाँच समिति के सामने खड़से के पारिवारिक सदस्यों और निजी सचिव का बयान दर्ज कराया जाना चाहिए था ऐसा न होने की वजह से सिर्फ़ क़यास ही लगाया जा रहा है। जमीन के मालिक उकानी खड़से से सचिव से मिले थे जिसके बाद आनन फ़ानन में खड़से ने सम्बंधित अधिकारियों की बैठक अपने बंगले में बुलाई थी। आखिर उन्हें इतनी जल्दी क्यूँ थी ? एमआयडीसी के अधिकारियों को उद्योग मंत्री की इजाज़त के बगैर क्यूँ बुलाया गया ? यह सवाल अहम है जिनका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है। मामले से पल्ला झाड़ कर खड़से ख़ुद को पाकसाफ़ भले बता रहे हो पर यह जानकारी समिति के संज्ञान में भी है की 23 फ़रवरी 2016 को उन्होंने बैठक की थी। 28 मार्च 2016 को खड़से की पत्नी और विदेश में रह रहे उनके दामाद ने कलकत्ता में जाकर ज़मीन ख़रीदने का करार किया था। इस दौरान 50 लाख रूपए एडवांस दिए गए जबकि 12 अप्रैल को खड़से ने फिर अधिकारियो के साथ बैठक की और अंत में 28 अप्रैल 2016 को जमीन खरीदने का कागज़ तैयार किया गया। परिवार के सदस्यों की सहभागिता से यह काम हो रहा हो और परिवार के प्रमुख को इस बात की जानकारी न हो यह अविश्वसनीय है। खड़से को 4 जून को इस मामले की जानकारी मिली और उन्होंने 6 जून को इस्तीफ़ा भी दे दिया। इन सारी परिस्थितियों को देखर की इस मामले में उनका प्रत्यक्ष सहभाग है।

जमीन के मालिक द्वारा जमीन बेचने का अधिकार होने वाले मुद्दे पर तर्क देते हुए जलतारे ने कहाँ की सरकार ने एमआयडीसी के लिए अगर किसी ज़मीन का नियोजन कर लिया तब उसका अधिकार सरकार के पास आ जाता है। जमीन का मालिक सिर्फ मुआवज़े का अधिकार रखता है इसलिए उकानी के साथ जमींन की ख़रीददारी के दस्तावेज़ अवैध है। एमआयडीसी के वकील के अनुसार खड़से ने मंत्री बनने के वक्त ली गई शपथ का भंग किया है। निजी फ़ायदे के लिए पद का दुरुपयोग किया गया। जिसके ज़िम्मे सरकार की ज़मीन के संरक्षण का काम था उसी ने विश्वाश्घात किया। इसलिए इस मामले की जाँच की सिफ़ारिश सरकार से कराने की एमआयडीसी द्वारा की गयी। एमआयडीसी की तरफ़ से अंतिम बहस मंगलवार को पूरी हो चुकी है इस बहस के दौरान उपस्थित किये गए मुद्दों पर उत्तर के लिए खड़से के वकील ने कल तक का समय माँगा है।