नागपुर: जीएसटी ( गुड्स एंड सर्विस टैक्स ) देश भर में लागू को चुका है। अप्रत्यक्ष कर के सभी प्रारूप को ख़त्म कर एकीकृत कर प्रणाली जीएसटी के माध्यम से लागू हो गया है। जीएसटी के अंदर सेंट्रल जीएसटी,स्टेट जीएसटी और आयजीएसटी ( इंटर स्टेट जीएसटी ) शामिल है। जीएसटी के प्रारूपों में केंद्र,राज्य और राज्यों के बीच के हिस्से में राजस्व के बंटवारे के लिया क्षेत्रीय स्तर पर जीएसटी विभाग को अधिकार दिया गया है। राज्य में जीएसटी से राजस्व का बंटवारा किस तरह किया जाए। इसका रास्ता निकालने के लिए स्टेट जीएसटी,सेंट्रल जीएसटी कमिशनर और आयकर आयुक्त की अगले हफ़्ते मुंबई में अहम बैठक होने वाली है इस बैठक में यह तय होगा की किस तरह से हिस्से को विभाजित किया जाएं।
एकीकृत कर प्रणाली लागू हो जाने के बाद भी कई ऐसी सामान है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों को टैक्स चुकाना पड़ता है। ऐसे में व्यापारी के लिए एक साथ एक बार में ही कर भरने का अधिकार दिया गया है। जीएसटी लागू हो जाने के बाद व्यापारी को जीएसटी के किसी एक फॉर्मेट सीजीएसटी या जीएसटी में रजिस्टर होना पड़ेगा। फिर भले ही वह अब तक स्टेट को टैक्स देता आया हो और अब वह सेंट्रल जीएसटी में रजिस्टर हो गया है। तब भी कोई दिक्कत नहीं वह सेंट्रल स्टेट के हिस्से का कर भर देगा, कर भुगतान के बाद सेंट्रल, स्टेट को सीधे उसके हक़ का कर ट्रांसफर कर दे देगा।
जीएसटी लागू होने के बाद जल्दी जीएसटी नंबर लेने और जानकारी के आभाव में जीएसटी नंबर हासिल करने में बड़े पैमाने पर यही बात सामने आयी है बावजूद इसके व्यापारीयो के लिए यह चिंता की बात नहीं है। रजिस्ट्रेशन की इसी दिक्कत को सुलझाने और कर बंटवरे के प्रारूप को तैयार करने के लिए यह बैठक आयोजित की गई है।
