नागपुर: महापौर निधि से खुद महापौर नन्दा जिचकर ने अपने प्रभाग के लिए सबसे ज्यादा एक करोड़ रूपए हथियाने का मामला एक ‘लेटर बम’ से सार्वजानिक हुआ. यह पत्र मनपा में सभी पक्ष नेताओं को पोस्ट द्वारा भेजा गया है. महापौर के खिलाफ उक्त ‘लेटर बम’ ने मनपा में बवाल मचा दिया है.
महापौर नन्दा जिचकर के मनपा की वर्तमान आर्थिक हालातों के मद्देज़र अपने प्रभाग के लिए निधि वितरित करते वक़्त अधिकतम 3 लाख तक की सीमा रखी गई. इसलिए उक्त विकास कार्यों के लिए निविदा जारी करने की जरूरत नहीं पड़ी.
ज्ञात हो कि मनपा परम्परा और मनपा बजट में महापौर निधि के रूप में 5 करोड़ वार्षिक का प्रावधान किया गया था. यह निधि पर महापौर का विशेष अधिकार होता है. महापौर अपनी इच्छानुसार वर्षभर के भीतर 5 करोड़ रूपए का वितरण विकासकार्यों के लिए कर सकते हैं. इस अधिकार का हनन करते हुए महापौर जिचकर ने महापौर निधि की 20% राशि हथियाकर अपने प्रभाग में ले गई. कोई इस मामले में हस्तक्षेप न करे इसलिए लगभग एक करोड़ की महापौर निधि में से अधिकांश निधि का 3-3 लाख के टुकड़े कर चुप-चाप महापौर ने अपने प्रभाग में विकासकार्य कराए. जबकि महापौर समेत सत्तापक्ष के 108 नगरसेवक मनपा में है.
महापौर को उक्त कृत के लिए उनके करीबी ठेकेदारों और महापौर के भ्राताओं का सहयोग मिल रहा है. महापौर कार्यालय में रहे या न रहे उनके भ्राता बंधू कुंडली मार के बैठे जरूर दिख जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि महापौर के अड़ियल रवैये से सत्तापक्ष के दिग्गज काफी खफा हैं. मनपा में पक्ष नेताओं से समन्वय के बजाय उन्हें दरकिनार करने में ज्यादा रुचि दिखाई जा रही है. महापौर सत्तापक्ष के जिस गुट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, मनपा में इसी गुट के शीर्षस्थ असहज दिख रहे हैं. इसलिए संभवतः वर्तमान महापौर को सवा साल का ही कार्यकाल मिले इसलिए पक्ष अंतर्गत विरोधी सक्रिय हो गए हैं.