Published On : Thu, Mar 29th, 2018

Video: सीसीआईएम के अध्यक्ष पद चुनाव में नागपुर के जयंत देवपुजारी उम्मीदवार


नागपुर: आयुष मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्था सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसन यानी सीसीआईएम के अध्यक्ष पद का चुनाव विवादों में घिर चुका है। 23 मार्च 2018 को हुए चुनाव परिणाम अब तक जारी नहीं हो पाए है। सीसीआईएम में हुए चुनाव का नागपुर कनेक्शन है और आरोप लग रहे है की इसमें संघ का हस्तक्षेप भी है। नागपुर से आने वाले डॉक्टर जयंत देवपुजारी अध्यक्ष पद के लिए खड़े थे। चुनाव प्रक्रिया के दौरान का एक विडिओ सामने आया है जिसमें हंगामा होता नज़र आ रहा है। विवाद के चलते अध्यक्ष पद का चुनाव परिणाम अब तक जारी नहीं हो पाया है। जबकि चुनाव में खड़े दोनों दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है।

नागपुर टुडे संवाददाता दिव्येश द्विवेदी से बातचीत में डॉ जयंत देवपुजारी ने अपनी जीत का दावा करते हुए प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के दावे को ख़ारिज किया है। एनडीटीवी इंडिया न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट में डॉ वनीता मुरलीकुमार ये दावा करती दिखाई दे रही है कि चुनाव प्रक्रिया में आयुष मंत्रालय का सीधा हस्तक्षेप था। यह सब (एक उम्मीदवार) डॉ देवपुजारी को जिताने और उनके पक्ष में मतदान करवाने के लिए किया गया। बावजूद इसके वो चुनाव जीती है।

दूसरी तरफ़ डॉ देवपुजारी ने विनीता की दलीलों को ख़ारिज करते हुए अपनी जीत का दावा किया है। उनके अनुसार मतदान में 67 वोट पड़े जिसमें से उन्हें 39 और प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को 38 वोट प्राप्त हुए। देवपुजारी को मिले एक वोट पर वनीता द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए उसे अमान्य माना है जबकि देवपुजारी ने अमान्य मतदान को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाईन का उदाहरण देते हुए उसे मान्य और अपने पक्ष में बताया है। उनका दावा है की जिस वोट पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी,बैलेट पेपर में साफ़ दिखाई देता है कि वोट उनके पक्ष में ही पड़ा। उनका यह भी कहना है की नटराजन नामक रिटर्निग ( चुनाव ) अधिकारी नटराजन निवर्तमान अध्यक्ष का सेकेट्री था और डॉ विद्यार्थी नामक पर्यवेक्षक ने भी उन्ही का पक्ष लिया। ऐसे 11 सदस्यों जिनका मामला अदालत में शुरू है उनका मत अलग मत पेटी में लिया गया। जिसे सबके सामने ही खोला गया इस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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चुनाव प्रक्रिया के दौरान जानबूझकर हंगामा किया गया और उसका वीडियो बनाया गया। प्रतिद्वंदी उम्मीदवार की हारने की स्थिति में ऐसा करने का जानबूझकर प्लान बनाया गया था। देवपुजारी का यह भी आरोप है की निवर्तमान अध्यक्ष ने संस्था के संविधान से प्राप्त अधिकार का गलत फ़ायदा उठाते हुए कई सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया। नियम के अनुसार अध्यक्ष कार्यकाल पूरा होने की सूरत में 3 महीने के लिए सदस्य का कार्यकाल बढ़ा सकता है लेकिन वर्ष 2016 से लेकर मार्च 2018 तक कई सदस्यों का कार्यकाल कई बार बढ़ाए गए। इसके पीछे का उनका मकसद चुनाव में मतदान अपने पक्ष में करने का था। बिहार और उत्तरप्रदेश से आने वाले कुछ सदस्यों का मामला अदालत में शुरू है। जहाँ से ही उन्हें मतदान का अधिकार हासिल हुआ है।

बहरहाल अध्यक्ष पद के चुनाव विवाद के बीच उपाध्यक्ष का चयन हो चुका है। देवपुजारी के पैनल से ही चुनाव लड़ने वाले बैंगलोर के बी आर रामकृष्णा ने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को भारी अंतर से पराजित किया। सीसीआयएम का खुद का दफ़्तर होने के बावजूद आयुष मंत्रालय में चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने पर भी सवाल उठे इस पर डॉ देवपुजारी ने कहाँ इससे पहले भी चुनाव प्रक्रिया किसी अन्य स्थान पर संपन्न हो चुकी है। ऐसे में इस पर सवाल उठाने का कोई कारण नहीं है।

विवाद और सीसीआयएम का पुराना नाता
सीसीआयएम के अध्यक्ष पद का विवाद काफ़ी वक्त से चला आ रहा है। वर्ष 2012 में अध्यक्ष पद की जगह रिक्त होने के बाद हुए चुनाव में चेन्नई की डॉ विनीता मुरलीकुमार अध्यक्ष बनी थी। जिनका कार्यकाल 5 अक्टूबर 2017 को ख़त्म हो चुका था। लेकिन वह चाहती थी कि वह पद पर बनी रहे उनका कहना था कि जिस तारीख़ से उन्होंने पदभार संभाला उस दिन से उनके कार्यकाल को गिना जाए। जिस पर डॉ देवपुजारी के साथ अन्य सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। जिसके बाद मामला आयुष मंत्रालय पहुँचा। मंत्रालय ने कानून मंत्रालय से इस बारे में राय ली। जिसमे कानून मंत्रालय ने सलाह दी की कार्यकाल को 5 अक्टूबर 2017 तक ही वैध माना जाए। इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ डॉ विनीता दिल्ली उच्चन्यायालय गई जहाँ वह केस हार गई। सिर्फ अध्यक्ष को लेकर ही नहीं देश की कई अदालतों में सीसीआयएम के सदस्यों से जुड़े कई मामले चल रहे है।

सीसीआयएम का कामकाज
सीसीआयएम आयुष मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्था है जिसका काम मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की ही तरह है। यह संस्था आयुर्वेद,यूनानी,सिद्धा और तिब्बत मेडिसीन उपचार पद्धत्ति के लिए नियम कानून बनाने के साथ शिक्षा संस्थानों को मान्यता देती है। देश भर से लगभग 100 सदस्य इसकी कमिटी में चुनाव,सरकारों द्वारा नॉमिनी और विश्वविद्यालय से चुनकर जाते है। वर्त्तमान में 67 व्यक्ति इसमें मेंबर है।

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