नागपुर: खादी व खाकी की मिलीभगत से जिले में बड़े-बड़े प्रकल्पों की घोषणा कर किसानों की जमीन कौड़ियों में हथियाने का षड्यंत्र वर्षों से जारी है. ऐसे प्रकरणों में जो किसान पूरी मुस्तैदी से वर्षों से संघर्ष करता रहा, उसे या तो जमीन का उचित मुआवजा मिला या फिर हड़पी गई जमीन वापिस मिली. ऐसा ही कुछ हाल पूर्व नागपुर के वाठोडा में प्रस्तावित सिम्बॉयसिस की शाखा के निर्माण संबंधी मामले का है जो काफी विवादों में है. एक ओर जमीन मालिक ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया तो दूसरी ओर न्यायालयीन प्रकरण होने के बावजूद नागपुर महानगरपालिका ने सिम्बॉयसिस को उक्त जमीन पर निर्माणकार्य करने की अनुमति दे दी. जिसके तहत बिना कागजों के ठेकेदार कंपनी ने चारदीवारी का काम शुरू कर दिया.
उक्त जमीन के मूल मालिक पाध्ये के अनुसार वर्ष १९५४ में नागपुर सुधार प्रन्यास ने पूर्व नागपुर से लगे भांडेवाड़ी, वाठोडा, तरोड़ी(खु.), तरोड़ी(बु.), बीडगाव आदि की ५३२३.२० एकड़ जमीन ‘ड्रेनेज एंड सीवेज डिस्पोजल प्रकल्प’ के लिए अधिग्रहण करने हेतु ‘नोटिफिकेशन’ जारी किया था. नोटिफिकेशन को मान्यता मिलने के बाद वर्ष १९५५ से १९६३ तक अधिग्रहण की कार्रवाई चलती रही. इसी दौरान नासुप्र के ध्यान में आया कि जरूरत से कहीं ज्यादा जमीनों को लिया जा रहा है. फिर नियमों की आड़ लेकर नासुप्र ने करीब २२०० एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाई थी. उक्त ५३२३.२० एकड़ जमीन में स्वर्गीय गणेश सीताराम पाध्ये की २२.६९ एकड़ जमीन भी थी, जिसको न आज तक मुआवजा मिला और न ही उसकी जमीन अधिग्रहित की गई. इसलिए एक ओर यह परिवार न्यायालयीन लड़ाई,सम्बंधित विभागों के धक्के खा रहा तो दूसरी ओर अपने जमीन पर कम लागत वाली खेती भी कर रहा है.
नासुप्र ने लौटाने के बाद बची शेष लगभग २५०० एकड़ जमीन में से ४५५.२६ एकड़ जमीन नागपुर महानगरपालिका को ‘सीवेज फार्म’ के लिए कागजों पर हस्तांतरित किया. इसमें उक्त किसान पाध्ये की २२.६९ एकड़ जमीन का भी समावेश था.
पाध्ये के अनुसार १५ फरवरी १९६२ को नासुप्र के विशेष भूसंपादन अधिकारी ने पाध्ये की सम्पूर्ण जमीन का अधिग्रहण-मुआवजा संबंधी ‘अवार्ड’ मात्र २८५० रूपए घोषित किया था. इस ‘अवार्ड’ में यह भी अंकित था कि पाध्ये की जमीन का मामला ट्रिब्यूनल में जारी हैं,जिसके पक्ष में निर्णय होगा, उसी को ‘अवार्ड’ की राशि सौंपी जाएगी. बाद में वर्ष १९६२ में ट्रिब्यूनल के निर्णय अनुसार पाध्ये के विरोधी को ‘अवार्ड’ की राशि में से २००० रुपए व पाध्ये को ८५० रुपए देने का निर्देश दिया गया. लेकिन पाध्ये को ‘अवार्ड’ की राशि नहीं मिली इसलिए उन्होंने ट्रिब्यूनल में पुनः अपील कर ‘अवार्ड’ की राशि में बढ़ोत्तरी करने की मांग की. वर्ष १९६६ में ट्रिब्यूनल ने पाध्ये के पक्ष में निर्णय देते हुए नासुप्र को पुराना ८५० सहित २२५५.२५ रुपए अतिरिक्त देने का निर्देश दिया.
जब उक्त आदेशों के मद्देनज़र पाध्ये को कोई निधि नहीं मिली तो उन्होंने ३ जनवरी १९६७ को नासुप्र को पत्र लिख अवगत करवाया और उस बकाया राशि में सालाना ६% का ब्याज देने की गुजारिश की. लेकिन इस पत्र द्वारा मांग पूर्ति करने में नासुप्र ने अपने हाथ खड़े कर दिए. पाध्ये परिवार को ३ जनवरी १९६६ से लेकर आज तक नासुप्र की ओर से किसी भी रूप में ‘अवार्ड’ की राशि नहीं मिली.इसलिए यह परिवार पिछले तीन पीढ़ी से वर्ष १९५० से लेकर ३ अक्टूबर २०१७ तक नियमित खेती कर रहे थे. वहीं पाध्ये परिवार दूसरी ओर उच्च न्यायालय अपने अधिकार के लिए न्यायालयीन लड़ाई जारी रखे हुए है. न्यायालय ने उनकी याचिका को मंजूरी देते हुए जिलाप्रशासन,नागपुर सुधार प्रन्यास,नागपुर महानगरपालिका,राजस्व विभाग को नोटिस भी जारी किया.
उल्लेखनीय यह है कि न्यायालयीन प्रकरण होने के बावजूद मनपा प्रशासन ने उक्त विवादस्पद जगह पर सिम्बॉयसिस को निर्माणकार्य के लिए सौंप दिया.
सिम्बॉयसिस ने आनन-फानन में बिना जमीन संबंधी कागज़ातों का मुआयना किए दो ठेकेदारों को निर्माणकार्य का जिम्मा सौंप दिया. ३ अक्टूबर २०१७ से नियति इंजीनियरिंग कन्सल्टन्सी खेतों में लगी फसलों को रौंद कर अपने हिस्से का काम सौंप दिया. इस घटना की जानकारी मिलते ही पाध्ये परिवार की तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि साइस गोपाल पाध्ये और उनके साथी चेतन राजकरणे जब उक्त खेत में पहुंचे तो वहां निर्मित साइट ऑफिस में उपस्थित संदीप गाडे ने जानकारी दी कि उन्होंने सिम्बॉयसिस के प्रकल्प प्रमुख के निर्देश पर काम शुरू किया है. इसके अलावा उनके पास इस जमीन संबंधी कोई कागजात नहीं थे. इसके बाद पाध्ये मनपा प्रकल्प विभाग प्रमुख बोरकर से मिले तो उन्होंने मनपा स्थावर विभाग की ओर इशारा कर अपना पल्ला झड़क दिया. जब स्थावर विभाग में पाध्ये ने दस्तक दी तो वहां उन्हें जानकारी दी गई कि जमीन ही अभी तक हस्तांतरित नहीं हुई है. बावजूद इसके निर्माणकार्य शुरू होने व मनपा प्रशासन के रवैये से छुब्ध होकर जल्द ही पाध्ये नंदनवन पुलिस थाने में उक्त मामला दर्ज करवाएंगे.