Published On : Thu, Feb 6th, 2020

विभागों को ‘क्लब’ करके स्टाफ की कमी दूर करेंगे मनपा आयुक्त!

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नागपुर : नागपुर महानगरपालिका में पिछले डेढ़ दशक से सीधी भर्ती बंद है और पिछले 3 वर्षों से हर माह लगभग 3 दर्जन अधिकारी-कर्मी रिटायर्ड हो रहे। ऐसे में बढ़ती आबादी को बिना किसी अड़चन के सुचारू रूप से मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के उद्देश्य से मनपा के कुछ विभागों को एक-दूसरे में समाहित किया जाने पर नए मनपायुक्त तुकाराम मुंढे गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

नागपुर शहर की जनसंख्या के अनुरूप जनता को मूलभूत सुविधा देने वाली नागपुर महानगरपालिका के पास प्रत्येक माह कर्मियों की कमी होती जा रही है। कारण साफ है कि पिछले 15 वर्षों से सीधी भर्ती बंद है और कार्यरत कर्मियों का पिछले 3 वर्षों से सेवानिवृत्ति का दौर जारी है। प्रत्येक माह लगभग 25-30 अधिकारी/कर्मी सेवानिवृत हो रहे हैं। साथ ही वीआरएस लेने वालों की संख्या भी मनपा प्रशासन की जिम्मेदारियों को प्रभावित कर रही है। वर्तमान में क्षमता से आधे अधिकारी-कर्मी कार्यरत हैं। यह भी संकेत मिले थे कि जैसे ही मनपा में 7वें वेतन आयोग की सिफारिश अनुसार वेतन देने के अध्यादेश जारी होंगे, वैसे ही लगभग 400 के आसपास अधिकारी-कर्मी वीआरएस लेने हेतु आवेदन करने वाले थे, लेकिन यह मामला अभी अटका हुआ हैं। अधिकांश बड़े व महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं, समकक्ष अधिकारी-कर्मियों से दैनिक कामकाज जैसे-तैसे निपटाए जा रहे हैं।

उक्त ज्वलंत समस्याओं से रु-ब-रु होकर नए मनपा आयुक्त मुंढे ने कम मैन पावर में शहर की व्यवस्था सुचारू रूप से संभालने के लिए रामबाण उपाय खोज ली है। वह यह कि मनपा के वे विभाग जिनको एक-दूसरे में समाहित किया जा सकता है, उसे ‘क्लब’ कर दिया जाएगा। इससे विभागों को कर्मियों की कमी नहीं होंगी और नियत समय मे जिम्मेदारीपूर्वक काम भी हो पाएंगे। इस उद्देश्य से ‘क्लब’ करने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो चुका हैं।

इस क्रम में फिलहाल ट्रैफिक विभाग को परिवहन विभाग और बाजार, विज्ञापन विभाग को स्थावर विभाग, कारखाना विभाग को स्वास्थ्य विभाग में समाहित किया जा सकता है, इसी विभाग के साथ स्वच्छ भारत मिशन संबंधी विभाग को ‘अटैच’ किया जा सकता है। इतना ही नहीं 3-3 जनसंपर्क एजेंसी व्यर्थ में सक्रिय हैं, सिर्फ निजी जनसंपर्क एजेंसी ही काम के लायक है। मनपा के लगभग आधा दर्जन विभागों के कार्यों का निजीकरण हो चुका है लेकिन आज तक गुणवत्तापूर्ण परिणाम नहीं मिल पाए है। इस ओर समीक्षा करने की कोशिश न अधिकारी वर्ग ने और न ही पदाधिकारी वर्ग ने की।

इस प्रयास को मनपा के पदाधिकारियों का साथ मिला तो जल्द ही समाहित का मसला पूर्ण हो सकता हैं।

उल्लेखनीय यह हैं कि इन दिनों महापौर संदीप जोशी और मनपायुक्त मुंढे दोनों का जनता दरबार का क्रम शुरू हैं, दोनों विभाग की खामियों, मनुष्यबल की कमी, अधूरे प्रकल्पों, रोजमर्रा के कामकाजों का प्रभावित होना, व्यर्थ खर्च के मामलों से अवगत हो रहे हैं। ऐसे में आयुक्त के सकारात्मक प्रयास को पदाधिकारियों द्वारा तरजीह देने के अलावा कोई अन्य ठोस उपाय नज़र नहीं आ रहा।