Published On : Mon, Nov 27th, 2017

मंत्री बनने के चक्कर में राणे की विधायकी गई, लाड को मिला ‘प्रसाद’

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Narayan Rane and Prasad Laad
मुंबई: बीजेपी में आसरा तलाश रहे नारायण राणे की स्थिति अजब हो गई है. मतलब उधर से निकले और इधर हाथ कुछ लगा नहीं. महाराष्ट्र की फडनवीस सरकार में मंत्री बनने की चाहत अभी तो अधूरी ही रह गई लगती है.

राणे ने अकड़ के साथ कांग्रेस से इस्तीफा देने के साथ अपनी विधान परिषद की सीट भी छोड़ दी थी. उन्हें भरोसा था मंत्री बनेंगे. लेकिन जब विधायक ही ना बन पाएंगे तो मंत्री कैसे बनेगें. वहीं एनसीपी से आए करोड़पति प्रसाद लाड को बीजेपी का टिकट मिला है.

राणे ने सीट छोड़ी, उम्मीदवार लाड बने
मंत्री बनने का ख्वाब राणे से दूर होता जा रहा है. वो बड़े ताव के साथ कांग्रेस छोड़कर आए थे, लेकिन राणे के इस्तीफा देने के बाद खाली विधान परिषद सीट पर उपचुनाव में बीजेपी ने दूसरे दलबदलू प्रसाद लाड को उम्मीदवार बना दिया है.

लाड एनसीपी छोड़कर बीजेपी में आए हैं. लेकिन राणे को शिवसेना के साथ दुश्मनी की कीमत चुकानी पड़ी है. उद्धव ठाकरे इस बात पर अड़ गए थे कि अगर राणे सरकार के अंदर हुए तो शिवसेना बाहर हो जाएगी.

हालांकि राणे ने क्विंट को बताया की शिवसेना की नाराजगी से उनकी दावेदारी पर कोई असर नहीं पड़ा है. राणे का बहाना है कि गुजरात चुनाव की वजह से वो दावेदारी से बाहर हैं. लेकिन वो भी जानते हैं कि गुजरात चुनाव से उनका क्या लेना देना.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के करीबी सूत्रों के मुताबिक वो जल्द फडणवीस मंत्रिमंडल में होंगे. लेकिन कैसे होंगे ये बताने का फॉर्मूला उनके पास नहीं है.

उद्धव ठाकरे में दम हो तो रोक लें

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में जगह ना मिलने से चिढ़े राणे ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के खिलाफ ताल ठोकते हुए कहा उद्धव में दम हो तो मुझे रोक लें.

क्या बीजेपी ने वादाखिलाफी की?

वोटों का गणित
दरअसल, फडनवीस सरकार के लिए इस वक्त शिवसेना का साथ बहुत जरूरी है. एनसीपी से भी बीजेपी के नरम-गरम रिश्ते चल रहे हैं. ऐसे में अगर बीजेपी ने अगर शिवसेना के ऐतराज के बावजूद नारायण राणे को टिकिट दिया होता तो राणे की जीत मुश्किल होती. बीजेपी के पास फिलहाल 124 वोट है जबकि जीत के लिए 145 वोट चाहिए. शिवसेना के पास 62 वोट है ऐसे में बिना शिवसेना के राणे का जितना भी मुश्किल था.

दूसरी आशंका ये थी कि अगर बीजेपी राणे को मैदान में उतारती तो कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना मिलकर बीजेपी उमीदवार को हरा देते, ऐसे में फडनवीस सरकार की बहुत किरकिरी होती. और फिलहाल मुख्यमंत्री ऐसा जोखिम लेने को तैयार नहीं.

प्रसाद लाड V/S दिलीप माने
कांग्रेस-एनसीपी ने विधान परिषद् चुनाव में सोलापुर के पूर्व विधायक दिलीप माने को उम्मीदवारी दी है , बीजेपी के उमीदवार प्रसाद लाड को शिवसेना के समर्थन के बाद लाड की जीत तय है.

नारायण राणे चाहे जो कहें ये सच है कि वो किसी भी कीमत में सरकार में शामिल होने को बेताब थे लेकिन वो नहीं हो पाया. अब उनके पास इंतजार के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

बीजेपी का टिकट जिन प्रसाद लाड को मिला है, उनका पूरा सफर काफी दिलचस्प है. आइए जानते हैं टैक्सी ड्राइवर से राजनेता बनने के इस चमकदार सफर को:

फर्श से अर्श तक का प्रसाद लाड का सफर
कभी मुंबई के लालबाग परेल में 10*10 के कमरे में रहने वाले प्रसाद लाड आज 500 करोड़ नेटवर्थ की कंपनी चलाते हैं. साथ ही महाराष्ट्र और मुंबई की राजनीति में तेजी से उभरता चेहरा भी हैं. प्रसाद लाड के पिता मुंबई में मिल मजदूर थे.

प्रसाद लाड ने 19 साल की उम्र से ही मुंबई की सड़कों पर टैक्सी दौड़ाना शुरू कर दिया था. लेकिन उनके सपने इतने कम कभी नहीं रहे, कुछ ही सालों में उन्होंने एक के बाद एक 15 टैक्सी ले ली. लेकिन कुछ ही सालों में जब उन्हें इस कारोबार में मंदी दिखी तो उन्होंने सर्विस इंडस्ट्री का रूख कर लिया.

सर्विस इंडस्ट्री से राजनीति में धमक
प्रसाद लाड इस बीच राजनीति में भी सक्रिय रहे और एनसीपी की युवा विंग के लिए काम करते थे. उनकी मुलाकात प्रमोद महाजन से भी थी. महाजन ने प्रसाद को सर्विस इंडस्ट्री सेक्टर में हाथ अजमाने की सलाह दी और उस दिन के बाद प्रसाद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिलहाल प्रसाद क्रिस्टल नाम की कंपनी के मालिक हैं. छोटी इंडस्ट्रीज से लेकर बड़े-बड़े बिल्डर्स से उनके अच्छे संबंध हैं साथ ही राजनीति में भी वो अच्छा कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री के क़रीबी नेताओं मे शामिल है लाड
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कुछ करीबी युवा नेताओ में प्रसाद सबसे आगे हैं. वहीं प्रधानमंत्री मोदी की मान की बात प्रोग्राम को बिना रुकावट हर वर्ग तक पहुंचाने का काम बीजेपी की ओर से लाड कर रहे है. ये भी एक वजह है की वे मुख्यमंत्री के करीबियों मे शामिल हैं.

राणे को रिप्लेस करना छोटी बात नहीं
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना से कांग्रेस तक मजबूत पकड़ रखने वाले नारायण राणे की जगह बीजेपी ने प्रसाद को टिकट दिया है. ऐसे में प्रसाद का रूतबा आप समझ सकते हैं.

बता दें कि बीजेपी ही नहीं एनसीपी और कांग्रेस से भी उनके अच्छे संबंध रहे हैं. छगन भुजबल के वो काफी करीबी थे.कांग्रेस एनसीपी सरकार में लाड को MHADA रिपेयरिंग बोर्ड का चैयरमेन भी बनाया गया था.