मुंबई : महाराष्ट्र में उर्दू भवन की निर्मिति की मांग को ध्यान में रखते हुए महारष्ट्र सरकार ने करीब 50 करोड़ की लागत से मुंबई में उर्दू भवन बनाने का ऐलान किया। लेकिन इस भवन की निर्मिति के लिए राज्य सरकार ने मुंबई के भायखला इलाके में जगह को मंजूरी दी। इसके बाद से ही कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
बता दे कि, मुंबई के कलीना इलाके में स्थित मुंबई विश्वविद्यालय के कैम्पस में ही सभी भाषाओं की इमारतें मौजूद हैं लेकिन सरकार ने उर्दू भवन के इमारत को इसी कैम्पस में बनाने के बजाय इसे विश्वविद्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर भायखला इलाके में बनाने का ऐलान किया है। सरकार के इसी फैसले से नाराज़ मुस्लिम संगठनों ने सरकार को चिट्ठी लिख इमारत को मुंबई विश्वविद्यालय में ही बनाने की मांग की है।
जय हो फाउंडेशन के अध्यक्ष अफ़रोज़ मलिक ने सरकार को लिखी चिट्ठी में कहा है कि विश्वविद्यालय के कलीना कैम्पस में उर्दू भवन के निर्माण के लिए जमीन भी उपलब्ध है और इसका निर्माण भी वहीं होना चाहिए जहां दूसरी सभी भाषाओं की इमारतें मौजूद हैं। अफ़रोज़ मलिक ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि, “भायखला इलाके में उर्दू भवन का निर्माण करने का ऐलान कर सरकार इस भाषा से भेदभाव कर रही है।
यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र की शिक्षा विभाग विवादों में रहा हो। इससे पहले भी इतिहास की किताबों में से मुगल बादशाहों की जानकारी को कम करने के कारण और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर, महात्मा फुले से ज़्यादा पैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किताबों पर खर्च करने के कारण भी शिक्षा विभाग पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।