नागपुर: एक तरफ महाराष्ट्र सरकार के मंत्री “ड्राई डिस्ट्रिक्ट” करने हेतु अपनी सारी ताक़त झोंक खुद की पीठ थपथपाने से नहीं चूक रहे तो दूसरी तरफ सम्पूर्ण देश में राष्ट्रीय व राज्य महामार्गों से शराब की दूकानें हटाने का निर्देश के बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने “रेवेन्यू लॉस ” एवं शहर से गुजरने वाली सभी महामार्ग की सड़को को “डिलीट” करने आदि का सहारा लेकर शराब की दूकानें उजाड़ने से बचते हुए एक अध्यादेश जारी किया है। इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (सुको) में अपना पक्ष रखने वाली है। राज्य सरकार के पक्ष से सुको संतुष्ट हुई तो ३१ मार्च के बाद महामार्गों पर शराब दूकानें कायम रहेंगी,वर्ना हमेशा के लिए बंद हो जाएंगी।
ज्ञात हो कि दिसम्बर २०१६ में सुको ने केंद्र सरकार के मार्फ़त सम्पूर्ण देश के महामार्गों से शराब की दूकानें बंद करने का आदेश दिया था। सुको के निर्देश के अनुसार विभिन्न महामार्ग छोटे-बड़े शहरों से होकर गुजर रही है, उन मार्गो पर या ५०० मीटर के अंदर शराब दुकानों वर्षों से हैं। सुको के आदेश के हिसाब से केंद्र-राज्य सरकार/प्रशासन ने कार्रवाई की तो निश्चित ही प्रत्येक शहर या जिले में उँगलियों पर गिनने लायक दूकानें शेष रह जाएंगी।
सुको के भय से मद्य सम्राटों की सक्रियता बढ़ी और उनके आगे राज्य सरकार झुकी। तय रणनीति के तहत सर्वप्रथम महामार्गों को “डिलीट” करने की पहल शुरु हो गई, हालाँकि उन महामार्गों की देखरेख स्थानीय प्रशासन के जिम्मे थी, लेकिन सड़कें राज्य या राष्ट्रीय महामार्ग प्रशासन की थी।
वहीं महाराष्ट्र में एक तरफ मद्य सम्राटों का वजूद कायम रखने के लिए राज्य के मंत्री “ड्राई डिस्ट्रिक्ट” करने पर आमादा हैं ताकि शराब बंदी पर आम जनता की वाहवाही लूट पाए, तो दूसरी तरफ शराब माफियाओं के धंधे में नया पंछी न भटके इसलिए “ड्राई डिस्ट्रिक्ट” की घोषणा कर सीमित मदद माफियाओं को धंधा करने के अवसर देकर सरकार और उसके मंत्री के सर कढ़ाई में है।
नागपुर जिले के शराब माफिया के सूत्रों के अनुसार २७ मार्च को सुको के समक्ष महाराष्ट्र सरकार को अपना पक्ष रखना है। इस मामले में ५२ याचिका दायर की गई हैं, इस सुनवाई के मद्देनज़र सरकार ने आनन्-फानन में एक अध्यादेश जारी कर उसमें सुको के निर्देश का पालन करने का जिक्र किया गया है और इसी अध्यादेश में राज्य सरकार के आर्थिक नुकसान की जिक्र करते हुए सभी शराब दुकानों को वर्ष २०१७-१८ के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण करने के आदेश दिए गए है।
सरकार से उक्त पहल एक विधायक चौधरी कर रहे हैं, जिनके सैकड़ों बीयर बार हैं। इनका भाई सत्ताधारी पक्ष के ओबीसी सेल का अध्यक्ष है। दूसरा पहलकर्ता मुम्बई का शेट्टी है, जो आल इंडिया होटेलर्स एसोसिएशन का अध्यक्ष है। तीसरा बड़ा पहलकर्ता नागपुर का जैस्वाल है, जिसे साई मंदिर ट्रस्ट से सम्बंधित मामले में आरोपी बनाया गया था। इनके गुर्गे जिले भर के सभी शराब विक्रेताओं से सरकार को मदद के एवज में व सुको में वकील की खर्च के नाम पर सभी से १०-१० हज़ार रुपए मांग रहे हैं। अभी तक २ करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं। एक शराब विक्रेता ने बताया कि ८ करोड़ का टारगेट है, जमाकर्ता से हिसाब पूछने पर फटकार लगाते है।
एक शराब के थोक विक्रेता ने बताया कि सुको ने वाइन शॉप को बंद करने संबंधी आदेश दिए हैं अर्थात सुको ने परमिट रूम शुरू रखने सम्बन्धी कोई कार्रवाई का निर्देश नहीं दिया है। नागपुर सहित सम्पूर्ण देश में “मार्गो के “डीनोटीफाय” का काम तेजी से शुरु है। वर्ष २०१४ में ही सभी महानगरपालिका, नगरपरिषद, ग्राम पंचायत को महामार्गों के कार्यालयों ने निर्देश दिया था कि भले ही सड़क महामार्ग प्राधिकरण के हो लेकिन “केयर टेकर” स्थानीय स्वराज संस्था होंगी। सुको का आगामी निर्णय सभी के लिए संतोषजनक आने वाला है।
एक सफेदपोश शराब विक्रेता ने जानकारी दी कि महामार्गों से शराब दुकानों को बचाने के लिए कांग्रेस के दिग्गज सफेदपोश वकील सक्रिय है तो दुकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए खुद सरकार इच्छुक है। अब सवाल यह भी उठता है कि केंद्र सह महाराष्ट्र में एक ही पक्ष की सरकार है लेकिन महाराष्ट्र सरकार शराब दुकानदारों के हितार्थ क्यों सक्रिय है यह समझ से परे है। यह भी संभव हो कि राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र सरकार वर्तमान सभी लाइसेंसों का नवीनीकरण करने के आदेश देकर निधि जमा कर लेगी फिर सुको ने पूर्ण बंदी का आदेश दे दिया तो सरकार को दोहरा फायदा हो जायेगा। यह सरकार की दोगली नीति करार की जाएगी।
राज्य सरकार के एक मंत्री के अनुसार राज्य सरकार ने शराब बेचने के लिए १३६५० लाइसेंस दिए, इनमें से ९०९७ लाइसेंस होटल, रेस्टॉरेंट, बार के हैं। सुको का निर्णय इन्हें लागू नहीं होता है, इससे सरकार का लगभग ३००० करोड़ रूपए डूबने से बच सकता है।
– राजीव रंजन कुशवाहा