Published On : Wed, Mar 29th, 2017

पीएचडी शोधार्थियों की अवकाश पत्र जमा करने की मोहलत खत्म

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Nagpur University
नागपुर
: राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने करीब एक माह पूर्व पीएचडी शोधार्थियों को तीस दिनों के भीतर उनकी कंपनी का तीन वर्ष का अवकाश प्रमाण-पत्र जमा करने के निर्देश दिए थे। ऐसा न करने पर उनका पंजीयन रद्द करने की चेतावनी दी थी, जबकि यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि रेगुलर या डिस्टेंस मोड में की गई पीएचडी रिसर्च को यूजीसी फूल टाइम के रूप में मान्यता देगी। अब तक अवकाश पत्र की अनिवार्यता समाप्त करने की कोई अधिसूचना विवि की ओर से जारी नहीं होने से शोधार्थी को पंजियन रद्द होने का डर सता रहा है।

सोमवार को विश्वविद्यालय प्र-कुलगुरू डॉ.प्रमोद येवले ने कहा है कि फिलहाल विवि पार्ट टाइम पीएचडी के नियमों को ड्राफ्ट कर रही है। जिसे लागू करने जून तक का समय दिया जाएगा। जिन शोधार्थियों को आरआरसी ने अवकाश प्रमाण-पत्र जमा करने के निर्देश दिए हैं, उन्हें वर्ष भर का समय है। एक साल के भीतर जरूरी दस्तावेज जोड़कर शोधार्थी रिसर्च शुरू कर सकते हैं। मगर जून तक नए नियम आने के बाद उन्हें अवकाश प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं रहेगी। कुछ समय पहले यूजीसी ने दिशा-निर्देश जारी किए थे कि पीएचडी एक रेगुलर कोर्स है। ऐसे में नागपुर विश्वविद्यालय में इस निर्देश को लागू किया गया था।

नौकरीपेशा वर्ग को नौकरी से अवकाश लेकर फुल टाइम पीएचडी करने के निर्देश थे। लिहाजा, विवि ने शोधार्थियों से कंपनी की ओर से तीन वर्ष का अवकाश पत्र प्रस्तुत करने की मांग की थी। 30 दिनों के भीतर पत्र नहीं जोड़ने पर आरआरसी रद्द करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद यूजीसी ने स्पष्टीकरण जारी कर पार्ट टाइम या फुल टाइम पीएचडी को रेगुलर पीएचडी के रूप में मान्यता देने की अधिसूचना जारी की थी।