नागपुर: जीवन में किस प्रकार संघर्ष के बल पर सफलता अर्जित की जा सकती है, यह बात हम वीर बजरंगी हनुमान जी के चरित्र से सीख सकते हैं। किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लंबी छलांग लगाना हो तो आधार मजबूत होना चाहिए। जीवन की यात्रा में दो बातों में सजग रहें- समय व उर्जा का सद्पयोग व लक्ष्य की स्मृति। हनुमान जी में यह सारे गुण बसे हैं, इसलिए वे कभी भी किसी काम में असफल नहीं रहे। उक्त उद्गार प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता ने हिवरी नगर स्थित श्री बड़ी मारवाड़ माहेश्वरी पंचायत भवन में आयोजित श्री राम कथा में सुंदर कांड के प्रसंग पर व्यक्त किए।
उन्होंने सुंदरकांड के हनुमान जी को केंद्र में रखते हुए जीवन प्रबंधन के सूत्रों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि हर कोई आज इस प्रयास में रहता है कि हमें ज्यादा से ज्यादा सुख मिल जाए। आज के समय में सुख मिलना बहुत कठिन भी नहीं है। परंतु समस्या यह है कि सुख के साथ शांति कहां से लाई जाए ? श्री रामचरित मानस का पांचवा सोपान इसी शांति की खोज है। इसमें सफलता के सूत्र छिपे हैं।
ध्यान को परमात्मा प्राप्ति का मार्ग बताते हुए कहा कि अकेलेपन को एकांत में बदलने की कला है ‘ध्यान’। जैसे ही ध्यान घटता है अकेलापन एकांत में बदल जाता है और अवसाद विदा हो जाता है। ध्यान मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है मन की सक्रियता। इसलिये पहले मन को नियंत्रित करना होगा। ‘मां’ के महत्व को समझाते हुए कहा कि संसार का सबसे अनोखा रिश्ता है ‘मां’ का। मां की दुआ और आशीर्वाद में इतनी शक्ति होती है कि संतान का भाग्य बदलने के लिये परमात्मा को भी बाध्य कर सकती है।
इस अवसर पर प्रमुखता से डा. झुनझुनवाला, राघव बजाज, मनोज खेतावत, वेणुगोपाल सारडा, रणछोड़दास सारडा, विट्टल तापड़िया, गोपाल चांडक, सतीश काबरा, मांगीलाल बजाज, पूनमचंद मालू, रतना चांडक, उषा चांडक, श्रीनिवास कलंत्री, मोनाली सोमाणी, पायल लढ्ढा, रमेश सोमाणी, अशोक सोमाणी, लालचंद सोमाणी, शैलेष सोमाणी, किसनगोपाल झंवर, हरिकिसन झंवर, पन्नालाल सोमाणी, कृष्ण सारडा, ज्योति भैया सहित अन्य प्रमुखता से उपस्थित थे।
गुरुवार, 27 दिसंबर को लंका कांड की व्याख्या की जाएगी। कथा का समय दोपहर 3 से शाम 6 बजे रखा गया है। गुरुवार को शाम 7 से 9 बजे हनुमान चालीसा से ध्यान कोर्स और व्याख्यान आयोजित किया गया है। इस अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में उपस्थिति की अपील सोमाणी व झंवर परिवार ने की है।
