नागपुर: मानधन पर ही सही लेकिन सरकार के राजस्व व वन विभाग के अधीन काम करनेवाले कोतवालों को पदोन्नती का भरोसा दिलाने के लिए 2001 में सरकार ने जीआर जारी किया था। इस जीआर के मुताबिक पांच साल से मानधन पर काम कर रहे कोतवालों को पदोन्नती देकर सिपाही बनाने का आदेश दिया गया था। लेकिन 16 साल बीत गए फिर भी इस दिशा में कोई ठोस कदम उठते दिखाई नहीं दे रहे हैं। मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय में निवेदन देने के लिए महाराष्ट्र राज्य कोतवाल संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्य बड़ी संख्या में जमा हुए।
निवेदन में सरकार से पदोन्नती के जीआर के नियमों को लागू करने की मांग की गई है। समिति सदस्यों में कई अनेकों वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं। केवल यही नहीं कोतवालों को मिलनेवाले मानधन से भी व्यवसाय कर के रूप में काटे गए 175 रुपए को लौटाने की मांग की गई है। निवेदन देने के लिए नेत्रदीप डोये, भूषण तसरे, ओंकार बांगर, दीपक रेवतकर, सागर कठाने, राहुल ढोने, संजीव ढोणे, संदीप सलामे, जीवन डोंगरे, राजकुमार पंचभाई व अन्य पदाधिकारियों का समावेश है।