मामला कोहले समर्थक कंपनी को हामी भरने के बाद पालकमंत्री ने अपने करीबी को ठेका दिया
नागपुर: राजनीति में सत्ता पाना फिर सत्ता का लाभ का भागीदार पार्टी व अपनों को बनाना वर्षो पुरानी परंपरा है। इसी परंपरा को निभाने के चक्कर में विगत सप्ताह नागपुर शहर भाजपाध्यक्ष और जिले के भाजपाई पालकमंत्री के मध्य तगड़ी झड़प हुई। पालकमंत्री द्वारा शहराध्यक्ष के सिफारिश को नकारने पर शहराध्यक्ष ने काफी भला-बुरा कहा। लेकिन पालकमंत्री के कानों पर जूं नहीं रेंगना। इसे सत्ता का नशा कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।
हुआ यूँ कि शहर भाजपाध्यक्ष व दक्षिण नागपुर के विधायक सुधाकर कोहले के परिजन और भाजपा कार्यकर्ता ने मिलकर एक कंपनी का गठन किया। ताकि इस माध्यम से कंपनी में शामिल भाजपाई व अपने परिजनो को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके। इसको राज्य सरकार अंतर्गत करोडो के काम दिलवाने के लिए शहर भाजपाध्यक्ष व दक्षिण नागपुर के विधायक सुधाकर कोहले ने नागपुर जिले के पालकमंत्री व राज्य के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से चर्चा कर काम दिलवाने हेतु राजी किया।
सूत्र बतलाते है कि इस सन्दर्भ में बावनकुले ने अपने ही विभाग अंतर्गत का 2 करोड़ का काम कोहले की सिफारिश पर मौखिक रूप से देने को राजी हो गया। जब सबकुछ तय हो गया तब कोहले को अचानक खबर मिली कि शहराध्यक्ष कोहले के परिजन की कंपनी को दिए जाने वाला काम बावनकुले ने अपने खासमखास ठेकेदार की कंपनी को दे दिया।
इस घटनाक्रम से तपतपाये कोहले ने बावनकुले को विगत सप्ताह संभवतः बुधवार को मुंबई में मुख्यमंत्री के समक्ष जमकर खरी-खोटी सुनाई। लेकिन बावनकुले ने काफी संयम रखते हुए कोहले की बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया। वहीं मुख्यमंत्री की चुप्पी पर कोहले समर्थक काफी अचंभित थे।
उल्लेखनीय यह है कि बावनकुले और कोहले भाजपा में एक ही गुट से ताल्लुक रखते है। जिले में अच्छा-खासा काम भाजपाई कार्यकर्ता और भाजपा से जुड़े ठेकेदार अप्रत्यक्ष रूप से कर रहे है। इसके पीछे एकमात्र मंशा यह है कि करीबी सह समर्थकों को आर्थिक रूप से सबल बनाया जाये। सत्ताधारियों के मध्य इसमें भी गुटबाजी का सार्वजानिक होना विपक्षी दलों के मध्य गरमा-गरम चर्चा बनी हुई है।
– राजीव रंजन कुशवाहा