Published On : Sat, May 19th, 2018

इस शख्स के चलते कर्नाटक में गई येदियुरप्पा की सरकार?

Rahul Gandhi and DK Shivkumar
बेंगलुरु/नई दिल्ली: कर्नाटक में बीजेपी की सरकार गिर चुकी है और इसे कांग्रेस की अति सक्रियता और विशेष रणनीति का नतीजा बताया जा रहा है. इस कामयाबी को हासिल करने में कांग्रेस के जिन सक्रिय लोगों की भूमिका रही, उनमें डीके शिवकुमार पहले शख्स होंगे. बता दें कि गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेसी विधायकों को शिवकुमार ने ही कर्नाटक में पनाह दी थी.

बीएस येदियुरप्पा सदन में बहुमत परीक्षण में इसलिए नाकाम हो गए क्योंकि कांग्रेस के विधायकों को इधर-उधर नहीं किया जा सका. बीजेपी को बहुमत के लिए 7 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत थी. कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को बीजेपी के खेमे से बचाए रखने लिए पूरी तरह से पहरा लगा रखा था. बीजेपी नेता काफी कोशिशें करके भी कांग्रेसी विधायकों को साधने में फेल होते नजर आए. जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों को बचाकर रखने में डीके शिवकुमार में बड़ी भूमिका निभाई.

बीजेपी की रणनीति कैसे की फेल
डीके शिवकुमार ने कांग्रेस और जेडीएस विधायकों तक बीजेपी की पहुंचने की रणनीति को फेल कर दिया. विधायकों को किस होटल में रखना है और उन्हें कैसे ले जाना और फिर लाना है, इसकी रणनीति शिवकुमार ने ही तय की.

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कांग्रेस ने बीजेपी से अपने विधायकों को बचाने के लिए शुरू से ही तैयारी कर रखी थी. नतीजे आने के बाद 24 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने अपने विधायकों से हस्ताक्षर करा लिए. इसके बाद सभी विधायकों को अपने निगरानी में रखा. बीजेपी के पाले में जाने से बचाने के लिए कांग्रेस की ओर से डीके शिवकुमार ने विधायकों को कमान संभाली. उन्होंने पहले विधायकों को अपने रिजॉर्ट में रखा.

विधायकों को बचाने की रणनीति
बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली रात में ही कांग्रेस ने अपने विधायकों को बस के जरिए हैदराबाद पहुंचाया. वहीं दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देकर मामले को कानूनी लड़ाई में तब्दील कर दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 24 घंटे का समय तय कर दिया.

कांग्रेस ने अपने विधायकों को हैदराबाद से दूसरे दिन ही बेंगलुरु वापस लेकर आई. कांग्रेस नेताओं ने अपने विधायकों पर बकायदा निगरानी रखी. डीके शिवकुमार ने विधायकों को सदन में ले जाने से पहले क्लास ली और कहा कि कोई भी विधायक किसी भी बीजेपी नेता कोई बातचीत नहीं करेगा. इतना ही नहीं बीजेपी नेता के उकसाने पर किसी तरह को कोई रिएक्ट नहीं करना है और न ही उनसे लड़ना है.

सदन की कार्यवाही शुरू होने के ऐन वक्त पर कांग्रेसी विधायकों को विधानसभा पहुंचे. कांग्रेस नेताओं को पहले ही आदेश था कि सदन की कार्यवाही स्थागित होने पर विधानसभा नहीं छोड़नी है. सदन में ही रहना है. इसी के चलते विधायकों की शपथ के बाद लंच के लिए जब दो घंटे के लिए सदन को स्थागित किया तो कांग्रेसी विधायकों को बाहर नहीं निकलने दिया गया. उनकी जगह पर ही उन्हें खाने के पैकेट उपलब्ध कराए गए.

कांग्रेस की इस रणनीति के तहत बीजेपी चाहकर भी कांग्रेसी विधायकों से संपर्क नहीं कर पाई. इसी का नतीजा था कि कांग्रेस खेमे से गायब विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल और आनंद सिंह वापिस सदन में आ गए. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने उन्हें अपनी निगरानी में खाना खिलाया और अपने पास ही बैठा लिया.

सीटों का गणित
बता दें कि 221 सीटों में से बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस को 36 और अन्य के पास 3 सीटें हैं. जबकि बहुमत के लिए 111 विधायकों की आवश्यकता है. बीजेपी को जादुई आंकड़े को जुटाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस विधायकों को अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रही थी जिसमें वह नाकाम रही.

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