Published On : Sat, Feb 1st, 2020

डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर पत्रकारिता पुरस्कार वितरण सम्मेलन में पत्रकारों को किया सम्मानित

Advertisement

नागपुर– यह अवसर बाबासाहेब आंबेडकर के विचार मीडिया को लेकर, पत्रकारिता को लेकर और जो समाज में वर्तमान परिस्थति है उसका वर्णन आज से ठीक 100 साल पहले जब ‘मूकनायक ‘ के सम्पादकीय में बाबासाहेव ने लिखा था। उस एक वाक्य में सब कुछ समाहित है। उन्होंने लिखा था। हिंदुस्तान में जो वर्तमान तत्व मौजूद है और समाज को एक फिल्म की तरह मानकर एक दर्शक के रूप में अगर हम देखे तो चारों ओर निराशा और अन्याय के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा।

यह आज से 100 साल पहले 31 जनवरी 1920 के ‘ मूकनायक ‘ में बाबासाहेब ने लिखा था। आज 100 साल बाद स्थिति क्या है। हम बोलते है शब्दों की प्रासंगिता, विचारों की प्रसंगगिता, मानव की प्रसंगगिता, अगर देखे तो बाबसाहेब का सम्पूर्ण व्यक्तित्व उस प्रासंगगिता से होता हुआ आज के काल में है। आज आसपास वही नाइंसाफी देखने को मिल रही है। जो बाबासाहेब ने 100 साल पहले लिखा था। उन्होंने क्यों लिखा ऐसा।

Gold Rate
02 June 2025
Gold 24 KT 96,000/-
Gold 22 KT 89,300/-
Silver/Kg 98,200/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

उस समय तो अंग्रजो का शासन था। हम गुलाम थे। आज आजाद भारत में 70 साल से ज्यादा का समय हो गया है। आज की स्थिति क्यों ऐसी है। उसका एक बहोत बड़ा कारण, और दूसरा सबसे बड़ा अपराधी आज की मीडिया को मानता हु। जिसका मैं एक सदस्य हु। यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार एस.एन विनोद का।

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा शुरू किए गए समाचारपत्र ‘मूकनायक’ को 31 जनवरी 1920 को 100 वर्ष पुरे होने के कार्यक्रम में वे बोल रहे थे। यह कार्यक्रम युगंधर क्रिएशन, वंदना संघ दीक्षाभूमि, लार्ड बुद्धा मैत्री संघ और संथागार फाउंडेशन की ओर से आयोजित किया गया था। इस दौरान डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर पत्रकारिता पुरस्कार वितरण सम्मेलन का आयोजन भी किया गया थ। इस दौरान पूर्व मंत्री राजकुमार बड़ोले, देवीदास घोडेस्वार, ज्येष्ठ पत्रकार गजानन नीमदेव, बबन वालके, डॉ.प्रदीप आगलावे, डॉ.बबनराव तायवाडे, उद्योजक सी.आर.सांगलीकर, दीक्षाभूमि स्मारक समिति के विलास गजगाटे, गोविन्द पोतदार, राजेश काकड़े, एडवोकेट सुनील सौंदरमल, राहुल रंगारी मौजूद थे।

इस दौरान एस.एन विनोद ने आज के मीडिया पर तीखी टिपण्णी की। उन्होंने कहा की दिल्ली के मंच से एक कार्यक्रम में एक पत्रकार ने कहा था की आज की दुर्दशा के लिए पॉलिटिशियन जिम्मेदार है। जब मेरी बारी आयी तो मैंने कहा की आज के समाज की दुर्दशा के लिए राजनीती जिम्मेदार है। लेकिन उससे कम जिम्मेदार हम पत्रकार नहीं है। आज समाचार पत्र, चँनलो को देखे तो इससे निराशा होगी। अब समाज में कहने में शर्म आती है की मै एक पत्रकार हु। हम इतने अविश्वसनीय क्यों बन गए है। बाबासाहेब ने अपनी कलम के माध्यम से अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी थी। उस प्रेरणा को याद न कर हम भटक गए है।

इस कार्यक्रम में राजकुमार बड़ोले ने कहा की बाबासाहेब ने दलित, पीड़ित पर होनेवाले अन्याय, अत्याचार को ध्यान में रखकर पत्रकारिता का उपयोग किया था। उनकी पत्रकारिता आक्रामकता के साथ संयमी भी थी। आज की परिस्थिति काफी चिंताजनक है। आज की पत्रकारिता पार्टियों के आगे नतमस्तक होनेवाली है।

इस दौरान पत्रकार योगेश चिवंडे, आनंद डेकाटे, केवल जीवनतारे, ज्येष्ठ पत्रकार प्रभाकर दुपारे समेत करीब 62 पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे। कार्यक्रम में बुद्ध गीत और बुद्ध वंदना भी ली गई।

Advertisement
Advertisement
Advertisement