Published On : Wed, Nov 15th, 2017

क्या पार्किंग के नाम पर कमर्शियल ईमारतों में जनता से हो रही जबरन वसूली ?


नागपुर: शहर की प्राइवेट कमर्शियल इमारतों में जनता से लूट का खेल शुरू है। पार्किंग शुल्क के नाम पर जनता से लगभग हर जगह जबरन वसूली की जा रही है। शहर में पार्किंग की बढ़ती दिक्कतों को देखते हुए निजी वाहन कमर्शियल इमारतों में बेफजूल पार्क न करने देने के पीछे का तर्क देते हुए पार्किंग शुल्क के नाम पर आम जनता से पैसे वसूले जाते है। लेकिन बड़ा सवाल ये है की क्या यह वसूली सही है, खास है कि ऐसा कोई नियम नहीं जिससे पार्किंग शुल्क वसूला जा सके। शहर की प्लानिंग की व्यवस्था को संभालने वाली एजेंसी नागपुर महानगर पालिका शहर भर में खुद पार्किंग की व्यवस्था का निर्माण करती है नियम के अनुसार सिर्फ ऐसी जगह पर ही पार्किंग पर शुल्क वसूल किया जा सकता है।

किसी भी निजी कमर्शियल ईमारत के निर्माण की मंजूरी देते समय टाऊन प्लानिंग के नियम के अनुसार डेवलपमेंट कंट्रोल रेगुलेशन में यह साफ स्पस्ट है की किसी भी ईमारत में वहाँ आने वाले लोगो के लिए पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध करना बंधनकारक है। ऐसे में अगर कोई किसी मॉल, हॉस्पिटल, सिनेमाहॉल या कहीं और जाता है तो उससे पार्किंग शुल्क के नाम पर वसूली कैसे? ऐसी इमारतों में बाकायदा पार्किंग के टेंडर निकाले जाते है तो क्या यह गैरकानूनी है अगर है तो यह काम हो कैसे रहा है ?

नियम का कड़ाई से पालन न होने की वजह से पार्किंग शुल्क से बचने के लिए जनता सड़कों पर वहनों को पार्क करती है जिससे न केवल ट्रैफिक की दिक्कत उत्पन होती है बल्कि कई बार नियम के उल्लंघन की सज़ा भी भुगतनी पड़ती है।

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ऐसी इमारतों के मालिक मेंटेनेंस शुल्क का हवाला देते हुए भी पार्किंग शुल्क वसूलते है लेकिन पार्किंग का व्यवस्था तो मुलभुत सुविधा का विषय है। नियम साफ कहता है की 80 स्क्वेअर मीटर से ज्यादा के निर्माण कार्य पर पार्किंग के साथ अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाये।

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