Published On : Tue, Apr 21st, 2015

क्या संजय जोशी आतंकवादी हैं और मोदी,शाह देशभक्त ?

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सत्ता के गलियारे से –  – कृष्णमोहन सिंह

नई दिल्ली। भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री व संघ के कार्यकर्ता संजय जोशी के जन्मदिन पर शुभकामना के पोस्टर लगाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके एसमैन अमित शाह बदले की भावना में इस हद तक चले जायेंगे यह भाजपा व संघ के कार्यकर्ताओं ने सोचा तक नहीं होगा। उनको तो लगता है कि संघ व शंकर सिंह वाघेला,केशुभाई पटेल,लाकृष्ण आडवाणी, सुरेश सोनी ,मदनदास देवी आदि की कृपा से  एक अदने से आदमी से प्रधानमंत्री बन गये नरेन्द्र मोदी  और उनकी कृपा से एक शेयर दलाल से भाजपा के अध्यक्ष बन गये अमित शाह, बड़ा पद पाने के बाद से बड़े मन के हो गये होंगे।

मोदी खुद प्रधानमंत्री बनने के बाद कई अवसर पर अपने भाषण में विपक्ष व लोगों को बड़े मन के होने की नसीहत दिये हैं।सो संघ व भाजपा के कार्यकर्ताओं के अलावा आम आदमी को भी लगा कि मोदी व उनके प्रिय शाह अब बड़े मन व गरिमा वाली राजनीति करेंगे,छोटे मन वाले काम नहीं करेंगे। लेकिन  संजय जोशी के जन्मदिन पर शुभकामना का पोस्टर लगाने के मामले में मोदी व अमित शाह ने जो रवैया अपनाया है उससे तो साबित होता है कि इन दोनों में बदले की भावना कूट-कूट कर भरी है।और अब तो लोग सवाल करने लगे हैं कि क्या संजय जोशी आतंकवादी हैं जो मोदी और शाह उनके विरूद्ध इस तरह का रवैया अपनाये हुए हैं।

भाषण में विवाद बढ़ गया है। बीजेपी के कई नेताओं और तीन मंत्रियों के निजी सहायकों की पहचान पोस्टर लगवाने वालों में हुई है। इस मामले में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सफाई मांगे जाने पर मंत्रियों ने सफाई दी है कि शुभकामना के पोस्टर लगवाने में उनका हाथ नहीं है बल्कि उनके मातहत काम करने वालों की तरफ से यह किया गया था। इस मामले में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने अपने एपीएस नितिन सरदारे से इस्तीफा भी ले लिया है।

मालूम हो कि 6 अप्रैल को संजय जोशी का जन्मदिन था। केन्द्र ,बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली,झारखंड आदि राज्यों के  वरिष्ठ पदाधिकारियों ,मंत्रियों के निजी सहायकों ने संजय जोशी के जन्मदिन पर शुभकामना देने वाले पोस्टर लगाए थे। सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा तीन केंद्रीय मंत्रियों के सहयोगियों ने भी इस  तरह के पोस्टर लगाए थे। चर्चा है कि ऐसा करने वालों के आकाओं को  केन्द्रीय नेतृत्व ने  तलब किया । और यह बताने को कहा गया है कि उन्होंने ऐसा करने वाले अपने सहयोगियों पर क्या कार्रवाई की है।

मंत्रियों में श्रीपाद नाइक के अलावा संजीव बालियान और सर्वानंद सोनोवाल के सहयोगी भी इसमें शामिल पाए गए। सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में सरकार और संगठन से जुड़े करीब 35 लोगों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। चर्चा है कि अमित शाह ने श्रीपाद नाइक को फोन कर ड़ांट लगाई थी। उनसे इस मामले में वह अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया । जिसके बाद नाइक ने अपने निजी सहयोगी नितिन सरदारे से इस्तीफा लेकर उन्हें 8 अप्रैल को कार्यमुक्त कर दिया।

चर्चा है कि इस मामले में कार्रवाई के डर से बचने के लिए कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि संजय जोशी के बधाई प्रकरण से उनका या उनके लोगों का कोई लेना-देना नहीं है। इस मामले में उनसे ना तो सफाई मांगी गई है  नाही उन्हें पार्टी की तरफ से कोई नोटिस मिला है। उधर नितिन सरदारे ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा व्यक्तिगत कारणों से दिया है और अब वह संगठन में काम करना चाहते हैं, जबकि उनको पता है कि संजय जोशी भी तो संगठन में काम ही करना चाहते हैं,लेकिन मोदी और शाह तो उनको संगठन तो छोड़िये,भाजपा या राजनीति में ही नहीं देखना चाहते हैं। ।अब ये लोग चाहे जो कहें ,इस घटना ने मोदी व शाह के तानाशाही वाले रवैये को और हवा दे दिया है। लोग कहने लगे हैं कि अब तो  डा. मुरली मनोहर जोशी,लालकृष्ण आडवाणी जैसों के यहां जाने और उनके जन्मदिन पर शुभकामना पोस्टर लगाने पर भी पूछताछ की जा सकती है ,पार्टी से निकाला जा सकता है।

क्या संजय जोशी की जासूसी करा रहे हैं मोदी,शाह ?:नरेन्द्र मोदी पर गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के समय से भाजपा ,कांग्रेस के नेताओं ,अफसरों आदि का फोन टेप कराने ,जासूसी कराने के आरोप लगते रहे हैं। आरोप यह भी लगता रहा है कि उन्होंने अपने यसमैन अमित शाह को गृहराज्य मंत्री बनाने के बाद उनके मार्फत यह काम और बड़े स्तर पर करवाया।

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पर अब यहां भी वह आरोप लगने लगे हैं। चर्चा है कि संजय जोशी पर आईबी के मार्फत लगातार नजर रखी जा रही है। उनसे मिलने –जुलने वालों पर निगाह रखी जा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि उनका फोन भी टेप कराया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसी सबके चलते उन भाजपा नेताओं,मंत्रियों  व उनके सहयोगियों की पहचान हुई जिनने संजय जोशी के जन्मदिन (6 अप्रैल 2015 ) के अवसर पर शुभकामना पोस्टर लगवाये थे, फोन करके जन्मदिन पर शुभकामना व बधाई दिये,एसएमएस करके शुभकामना संदेश दिये।

और उसको लेकर तीन मंत्रियों सहित तमाम पदाधिकारियों, कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं से केन्द्रीय नेतृत्व ने नाराजगी जताते हुए पूछताछ की , जवाब मांगा । कहा जाता है कि इसमामले में अमित शाह द्वारा कड़ी कार्रवाई करने की धमकी के बाद आयुष मंत्री श्रीपद नाईक को अपने  निजी सहयोगी नितिन सरदारे को हटाना( 8 अप्रैल 2015 )पड़ा।  संजय जोशी को बधाई देने वाले,पोस्टर लगवाने वाले  और कितनों  का राजनीतिक कैरियर खत्म करेंगे मोदी,शाह, कुछ दिन में पता चल जायेगा।

क्या भाजपा के बिहारी एसएमएसयी सदस्य करेंगे दिल्ली वाली हालत : भाजपा नेताओं का दावा है कि पूरे देश में उसके 10 करोड़ सदस्य बन गये हैं। जिसमें ज्यादेतर एसएमएस से बने हैं। कैसे और कौन – कौन बने हैं इसका खुलासा केरल व कई राज्यों में हो चुका है ,जहां के कांग्रेसी व वामपंथी पदाधिकारियों ,नेताओं को भी भाजपा का सदस्य बना दिया गया। चाहे ऐसे या वैसे जैसे भी कहें ,इस तरह  बनाये गये भाजपा सदस्यों की संख्या बिहार में 90 लाख होने का दावा अमितशाह ने पटना के  गांधी मैदान में 14 अप्रैल को हुए सम्मेलन में किया। लेकिन उनके इस दावे की असलियत और उसे वोट में बदलने के बारे में भाजपा व संघ के तमाम पुराने कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि एसएमएसयी सदस्य का जो गुब्बारा अमितशाह फुला रहे हैं वह बिहार विधानसभा चुनाव में भी उसी तरह फुस्स हो सकता है जिस तरह दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुआ। क्योंकि एसएमएसबाजी  से प्रतिबद्ध कार्यकर्ता तैयार नहीं होते। संघ के साधना व तप से कार्यकर्ता जुड़ते व बने रहते हैं । उसी के कार्य व तप के चलते भाजपा आज केन्द्र व कई राज्यों में सत्ता में है।

अश्विनी चौबे तो मोदी के कीर्तनी व शंख हैं, फिर क्यों शाह,रूड़ी,शहनवाज ने नहीं दी मंच पर जगह : भूमिहार गिरिराज सिंह की तरह ब्राम्हण अश्विनी चौबे भी नरेन्द्र मोदी के घनघोर कीर्तनी व शंख रहे हैं। मोदी आयेंगे राम राज्य लायेंगे जैसे भाव वाले बोल बोलते हुए नीतीश के विरूद्ध जहर उगलने में गिरिराज व चौबे में होड़ लगी रही।भूमिहार गिरिराज सिंह को तो मोदी ने केन्द्र में मंत्री बना दिया लेकिन अश्विनी चौबे को आश्वासन की रबड़ी भी नहीं दी जा रही है। रही सही कसर बिहार के भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के सामने गांधी मैदान में बेईज्जत कराके पूरी करा दी गई।  उनका नाम मंच पर बैठने वालों की सूची में नहीं रखा गया था। कहा जाता है यह किया गया अमित शाह, राजीव प्रताप रूड़ी,गिरिराज सिंह,शहनवाज हुसैन आदि के चलते। अश्विनी चौबे को मंच पर चढ़ने नहीं दिया गया। सुरक्षा कर्मियों ने सूची में उनका नाम नहीं होने की बात कह कर ऊपर जाने नहीं दिया। उसके बाद चौबे नीचे लगी कुर्सी पर  पीछे जाकर कुछ देर बैठे । जिसको कार्यकर्ताओं ने देखा। कई कार्यकर्ताओं ने उनसे इसका कारण भी पूछा कि आप तो मोदी के हनुमान  हैं ,फिर आपके साथ यह व्यवहार क्यों हो रहा है ? चौबे से इसका जवाब देते नहीं बन रहा था , कहे भी तो क्या कहें, सो चुपचाप उठकर चले गये। शाह के भाषण के पहले ही।

शत्रुघ्न व चौबे को किनारे लगाने से भाजपा को नुकसान: जीतन मांझी के भरोसे बिहार में बहुमत का ख्वाब देख रहे नरेन्द्र मोदी और अमित शाह वरिष्ठ भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा, अश्विनी चौबे व उनके जैसे अन्य तमाम नेताओं को जिस तरह बेईज्जत कर रहे हैं,किनारे लगाने की कोशिश कर रहे हैं,उसका असर पटना,भागलपुर के अलावा बिहार के भाजपा कार्यकर्ताओं व जनता पर पड़ने लगा है। लोग कहने लगे हैं कि मोदी-शाह का यदि यही रवैया रहा तो विधानसभा चुनाव जितना मुश्किल होगा।