Published On : Sat, Oct 1st, 2022

क्या आशीष देशमुख भाजपा की राह पर !

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– जिप में 12 कांग्रेस सदस्यों का अलग गुट बनाने में भिड़े,सावनेर से भाजपा के विस उम्मीदवार हो सकते हैं ?

नागपुर – आशीष देशमुख पिछले विधानसभा चुनाव हारने के बाद राजनीत में खुद को STABLE करने के लिए काफी समय से विभिन्न स्तर से प्रायसरत हैं.इसी क्रम में आज कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहे शशि थरूर के कार्यक्रम में प्रमुखता से उपस्थित दर्ज करवाएंगे तो कुछ दिन पूर्व पृथक विदर्भ आंदोलन के लिए नागपूर पहुंचे प्रशांत किशोर को आंदोलन से जोड़ने में अहम् भूमिका निभाई।

उक्त प्रयासों के अलावा जमीनी स्तर पर खुद को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए देशमुख अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी सुनील केदार के नेतृत्व में जिला परिषद में सत्ता पक्ष में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे.समझा जाता है कि उन्होंने अब तक 12 जिपं सदस्यों को अपने पाले में कर लिए हैं ?

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद नागपुर जिले सह सभी स्थानीय निकायों में भाजपा ने सेंध लगानी शुरू कर दी है,इसके लिए वे ‘साम दाम दंड भेद’ का इस्तेमाल कर रहे हैं.

सूत्र बतलाते है कि महाआघाड़ी सरकार के कार्यकाल में भाजपा को जिन जिन तत्कालीन सत्ताधारियों ने तकलीफ दी थी,उन्हें सत्ता परिवर्तन के बाद अब राजनैतिक रूप से निपटाने की रुपरेखा तैयार कर सक्रीय हो गए हैं.

इसी क्रम में नागपुर जिला परिषद में कांग्रेस को सत्ता से महरूम करना भी एक ध्येय हैं.इस ध्येय को पूरा करने के लिए भाजपा ने देशमुख को जिम्मेदारी दी क्यूंकि जिप सत्तापक्ष का नेतृत्व कांग्रेस विधायक सुनील केदार कर रहे है,अन्य किसी कांग्रेसी नेता या उनके जिप सदस्यों की एक नहीं चल रही.

दूसरी ओर केदार से सीधा द्वंद्व करने के लिए सिवाए देशमुख के कोई तैयार नहीं रहता,अर्थात हिम्मत नहीं जुटाता।केदार और देशमुख शुरू से ही एक-दूसरे के प्रखर विरोधी रहे है,सिर्फ मुकुल वासनिक जब पहली मर्तबा रामटेक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे तब दोनों एक मंच पर दिखे थे.

भाजपा ने पहले देशमुख को पक्ष में लिया ,क्योंकि उनके राजनीतिक स्थिरता सह आधार की सख्त जरूरत है और भाजपा को सभी जगह अर्थात कांग्रेस मुक्त जिला चाहिए।इसलिए देशमुख को अगले विधानसभा चुनाव में सावनेर से भाजपा उम्मीदवारी का वादा किया गया हैं.इससे पहले उन्हें जिला परिषद में केदार का वर्चस्व कम करने के लिए कांग्रेस के अन्य नेट/गुट के जिला परिषद सदस्य को गुट से अलग कर भाजपा समर्थन से मुख्यधारा में अर्थात सत्ताधारी बनाने का जिम्मा दिया गया है.जिस प्रकार राज्य में शिवसेना के ही MLA को अलग कर उन्हें ही राज्य का कारोबार सौंप अन्य पक्षों को सत्ता से महरूम कर दिया गया है.

वर्त्तमान सरकार में भाजपा नागपुर जिले के प्रभावी कोंग्रेसी MLA केदार का राजनैतिक वजूद ख़त्म करने के लिए विभिन्न प्रकार से हथकंडे अपना रही हैं.उनके नेतृत्व में 2 दशक पूर्व हुए जिला बैंक में आर्थिक घोटाला की फाइल पुनः खोल मुंबई में सुनवाई शुरू कर दी.उनके क्षेत्र में हुए रेती की अवैध उत्खनन से हुए सरकारी राजस्व का नुकसान की भी जाँच हो रही है,केदार समर्थक पर अवैध मुरुम उत्खनन की भी जाँच की मांग भाजपा कर रही हैं.कुल मिलाकर भाजपा द्वारा केदार पर चौतरफा राजनीतिक हमला करने की कोशिश शुरू है ? 
  
12 सदस्यों में प्रदेशाध्यक्ष विरोधी भी 

जिन 12 कांग्रेसी जिप सदस्यों को कांग्रेस से अलग किया जा रहा,उनमें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के कट्टर विरोधी का भी समावेश हैं.क्या इस जिप सदस्य ने प्रदेशाध्यक्ष के हाथ मिला लिया ? या फिर भाजपा से बाहर रहकर भाजपा की मदद से वे सत्ता पक्ष का लाभ उठाने के लिए केदार का विरोध करने के लिए तैयार हो गए हैं.