
File Photo
नागपुर: युग चांडक हत्याकांड में शामिल नाबालिक पर शुक्रवार को भी फ़ैसला नहीं आ सका। अब आगामी बुधवार को बाल अदालत यह तय करेंगी कि नाबालिक को पुनर्वास के लिए किस जगह भेजा जाये। वर्ष 2014 में हुए युग चांडक हत्याकांड ने राज्य को हिला कर रख दिया था। इस मामले के दो आरोपियों राजेश धनलाल दवारे और अरविंद अभिलाष सिंग को अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई है इसी अपराध में शामिल नाबालिक का मामला बाल अदालत में चल रहा था।
बाल अपराध कानून के पुराने प्रारूप के हिसाब से किसी भी आरोप में शामिल किसी नाबालिक को ज्यादा से ज्यादा 3 वर्ष के लिए बाल सुधार गृह भेजा जा सकता है। इस मामले में शामिल नाबालिक अब 20 साल का हो चुका है और प्रावधान के मुताबिक 18 वर्ष उम्र तक ही किसी को बाल सुधार गृह में रखा जा सकता है। बाल अदालत मंडल में शामिल जज एस एन बेदरकर, सदस्य के टी मेले और सुरेखा बोरकुटे के समक्ष पेश हुए नाबालिक से प्रोबेशनल ऑफ़िस की रिपोर्ट से सवाल जवाब किये गए।
इसी रिपोर्ट के आधार पर अदालत नाबालिक के लिए पुनर्वास के लिए उपयुक्त आयाम पर चर्चा कर फ़ैसला लेगी जो बुधवार को लिया जाएगा। पुनर्वास के अंतर्गत फाइन लिया जा सकता है या उसे सामाजिक कार्य की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। नाबालिक पर बाल अदालत में भारतीय दंड संहिता की धारा 363 ,364 ( A ),120 (B ) के अंतर्गत अपराध सिद्ध हुआ है।
मामले में सरकार की तरफ़ से अधिवक्ता एस शहारे जबकि नाबालिक की तरफ अधिवक्ता विकास कराड़े ने पैरवी की।