Published On : Wed, Apr 12th, 2017

शराब बंदी को लागू करने के बजाए राज्य सरकारे कर रही षडयंत्र

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नागपुर:
 इन दिनों देश भर में शराब बंदी को लेकर जबरजस्त आंदोलन शुरू है। देश भर की तरह विदर्भ में भी शराब पर पाबंदी लगाने की माँग के साथ महिलाएं प्रदर्शन कर रही है। इसी कड़ी में बुधवार को नागपुर में नशा मुक्त भारत का एक दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हुआ जिसमे मेधा पाटकर , स्वामी अग्निवेश और डॉ सुनीलम जैसे समाजसेवियों ने हिस्सा लेकर शराब बंदी के लिए आवाज़ बुलंद की। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में शराबबंदी के लिए कार्य करने वाले लोग और ख़ास तौर पर महिलाओ ने भाग लिया।

अधिवेशन की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ समाजसेवी मेधा पाटकर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ बाबासाहब आंबेडकर द्वारा दलितों और श्रमिकों के लिए नशाबंदी के संदेश को याद किया। पाटकर के मुताबिक आजादी के बाद पहली बार देश में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर अपनी –अपनी जगहों पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। शराब और नशीले पदार्थों से श्रमिकों की लूट और महिला अत्याचार के लिए शासन अपराधी है। उन्होंने महिलाओं से इस बार आर पार का संघर्ष करने का एलान करते हुए शराबबंदी के लिए महाराष्ट्र में और राष्ट्रीय स्तर पर कड़ा कानून बनने तक सतत संघर्ष करने की अपील की है।


नशामुक्त भारत के संयोजक समाजवादी नेता और पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा की जिस तरह शराब पीने वालों के बीच यह धारणा बनी हुयी है कि शराब पिए बिना आनंद प्राप्त नहीं हो सकता उसी तरह सरकार चलाने वाली पार्टियाँ यह मानती हैं कि शराब से कमाई किये बिना विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार यदि आर्थिक तौर पे पिछड़ा राज्य होने के बावजूद वैकल्पिक आर्थिक स्त्रोत विकसित कर सकता है तो महाराष्ट्र और अन्य राज्य क्यों नहीं? उन्होंने शराब पीने के परिणामस्वरूप देश में हर वर्ष होने वाली 10 लाख मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए शराबबंदी करने वाले राज्यों को केंद्र सरकार से विशेष पैकेज देने की मांग की ।

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सर्वधर्म समाज के राष्ट्रीय संयोजक एवं आर्य प्रतिनिधि सभा के संयोजक स्वामी अग्निवेश ने महिलाओं से आवाहन करते हुए कहा कि वे शराब की दुकानों में घुसकर शराब की बोतलें तोड़ दें लेकिन यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्तर पर व्यक्तिगत हिंसा न हो। उन्होंने कहा कि सर्वधर्म संसद देशभर में सभी बुराइयों की जड़ शराब के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहा है।

शराब बंदी के अंदोलन में कई राजनिक दल प्रमुख तौर पर भाग ले रहे है बिहार में शराब बंदी को लागू का मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने शराब मुक्त भारत आंदोलन मजबूती दी है। अपने राज्य में शराब बंदी के फैसले से हुए असर का जिक्र करते हुए बिहार के पूर्व मंत्री एवं बिहार विधानसभा में जनता दल (यू) के उपनेता श्याम रजक ने कहाँ कि शराबबंदी के परिणामस्वरूप समाज में जबरदस्त परिवर्तन देखा जा रहा है। अब गाँव में गाली गलौच की जगह शांति का वातावरण है । सरकार ने वैकल्पिक आर्थिक संसाधन जुटाकर कृषि विकास की देश में अधिकतम वृद्धि दर हासिल की है।


वही कर्नाटक के विधायक बी आर पाटिल के मुताबिक कर्नाटक में शराबबंदी आन्दोलन मजबूती से चल रहा है शराब बंदी के लिए हमने शराब की कमाई से चलने वाली सरकार के कार्यालयों में जाकर ‘हमारा गाँधी हमें वापस दो’ का आन्दोलन चलाया है।

इस अधिवेशन के तहत महाराष्ट्र में शराब बंदी सम्बंधित 9 बिन्दुओं के प्रस्ताव सम्मलेन में पारित किये गए जिसमें तीन प्रमुख मुद्दे ये है

– जिस वार्ड/ मोहल्ले में शराब की दुकान वहाँ की 25% महिलाओं के प्रस्ताव पर दुकान बंद किये जाने का फैसला लिया जाना चाहिए।
– शराब बंदी के अभियान के आन्दोलन के दौरान महिलाओं पर लगाए गए फर्जी मुकदमे वापस लिया जाना।
– हर गाँव में शराबबंदी के लिए ग्राम सुरक्षा दल गठित कर महिलाओं को मानदेय देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।


सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर के प्रस्ताव में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजमार्गों से शराब की दुकानें हटाने संबंधी फैसले को लागू किये जाने की बजाय महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा राजमार्गों को डीनोटिफाई करने तथा स्थानीय निकायों को हस्तांतरित करने के षड़यंत्र को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना बतलाते हुए कानूनी एवं आंदोलनात्मक कार्यवाही की घोषणा की गयी। 1 जुलाई 2016 को गठित नशामुक्त भारत आंदोलन का गठन किया गया। देश भर में शराब बंदी की माँग करते हुए यात्रा इस दिनों शुरू है जिसको बिहार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने घरी झंडी दिखाई थी।

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