Published On : Thu, Sep 13th, 2018

विपक्ष नेता को नज़रअंदाज कर रहा मनपा प्रशासन

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नागपुर: मनपा में महापौर के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पद विपक्ष नेता का होता है. यह परंपरा लोकसभा से लेकर राज्य विधानमंडल तक वर्षों से कायम है. लेकिन नागपुर मनपा में विपक्ष नेता को तरजीह देना छोड़ दिया साथ ही उनके पत्रों का समाधानकारक जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा जाना निंदनीय है.

विगत माह सत्तापक्ष के पहल पर मनपा प्रशासन ने एक कोर कमिटी का गठन किया था. जिसमें सभी के सभी सत्तापक्ष के सदस्य सह पदाधिकारियों का समावेश किया गया था. जबकि मनपा संचलन में विपक्ष नेता की अहमियत उल्लेखनीय रहती है.

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इतना ही नहीं विरोधी पक्ष नेता ने लगभग सभी विभागों को ३-३ दफे पत्र लिख पिछले कुछ वर्षों की महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी लेकिन इसमें से हॉटमिक्स, अतिक्रमण अग्निशमन विभाग ने ही आधी-अधूरी जानकारी देकर विपक्ष नेता को गुमराह करने की कोशिश की. शेष विभाग प्रमुख अपना पल्ला झाड़ने के लिए एक-दूसरे को लेटरबम डाल रहे और उसकी प्रति विपक्ष नेता को भेज टालमटोल कर रहे हैं.

अग्निशमन विभाग को पत्र लिख विपक्ष नेता ने जानकारी मांगी थी कि वर्ष २०१६ से अब तक कितने अस्थाई और स्थाई अनापत्ति प्रमाण पत्र विभाग ने जारी किए. विभाग प्रमुख उचके ने वर्ष १९८९ से ७ सितंबर २०१८ तक का आंकड़ा देकर अपना पिंड छुड़ा लिया.

अतिक्रमण विभाग से विरोधी पक्ष नेता ने जानकारी मांगी थी कि शहर में ऐसे जीर्ण ईमारत कितने है जिन्हें ढहाने के लिए आवेदन किया गया. विभाग प्रमुख ने उक्त सवाल का जवाब देने के बजाये वर्ष २०१७-१८ के दौरान सभी ज़ोन के अधीनस्त ढहाए गए जीर्ण घरों और इमारतों की सूची देकर खानापूर्ति की.

उल्लेखनीय यह है कि क्या प्रशासन और सत्तापक्ष संयुक्त रूप से विपक्ष नेता पद का अस्तित्व समाप्त करने पर तुले हैं? अगर ऐसा नहीं है तो विपक्ष नेता को नज़रअंदाज करने वालों पर कानूनन कार्रवाई की जाए.

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