नागपुर: इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की डीन डॉ. मीनाक्षी गजभिए (वाहने) ने आज एंटी करप्शन ब्यूरो के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पिछले चौबीस घंटे से अधिक समय से डीन डॉ. गजभिए फरार चल रही थीं और अपने वकील के जरिए उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अर्जी लगा रखी थी। अदालत में कल 19 जनवरी को उनकी जमानत की अर्जी पर भी सुनवायी होनी है।
गौरतलब है कि 16 जनवरी को एसीबी ने डॉ. मीनाक्षी गजभिए को एक दवा विक्रेता से पंद्रह हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद एसीबी उन्हें तहसील थाने लेकर गयी, जहाँ पूछताछ के बाद उन्हें 17 जनवरी की सुबह थाने आने की ताकीद के साथ घर जाने दिया गया। लेकिन डॉ. गजभिए पुलिस और एसीबी को चकमा देने के उद्देश्य से 17 जनवरी की सुबह से ही भूमिगत हो गयी।
डॉ. मीनाक्षी के भूमिगत होते ही एसीबी ने उन्हें ढूँढ़ने के लिए उनके रिश्तेदारों और नाशिक में रहने वाले उनके पति के यहाँ दबिश दी। लगातार खोजे जाने से परेशान होकर डॉ. मीनाक्षी ने बुधवार अपराह्न तीन बजे एसीबी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
क्या था मामला
एक दवा विक्रेता ने दिसंबर 2016 में दो लाख चौरासी हजार छह सौ साठ रुपए की दवा इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (मेयो) में आपूर्ति की थी और इसी का बिल पास कराने के लिए वह विक्रेता मेयो की डीन डॉ. मीनाक्षी गजभिए (वाहने) के दफ्तर के चक्कर लगा रहा था। डॉ. गजभिए ने उस दवा विक्रेता के बिल को पास करने के लिए पंद्रह हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। दवा विक्रेता ने एसीबी से शिकायत की और एसीबी ने जाल बिछाकर डीन डॉ. गजभिए को रिश्वत की रकम के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उनके साथ रिश्वत मांगने में उनका सहायक विजय मिश्रा नामक व्यक्ति भी गिरफ्तार किया गया था। विजय मेयो अस्पताल में ही मेस चलता है।