Published On : Thu, Nov 20th, 2014

यवतमाल : उच्च न्यायालय को किसान ने कहा वह त्रस्त है, आत्महत्या करूंगा

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  • गाव के अधिकारी तथा पदाधिकारी से है परेशान

Farmer in press meet
यवतमाल। मुंबई उच्च  न्यायालय के नागपूर खंडपिठ के जज को यवतमाल जिले के एक किसान   ने पत्र देकर कहा है कि वह त्रस्त है, इसलिए आत्महत्या कर सकता है. इसके लिए गाव के अधिकारी और पदाधिकारी उसे बिना वजह परेशान कर रहे है.इन लोगों के खिलाफ कडी कारवाई करने की मांग उसने की है.

6 अक्तुुंबर को उसने यह पत्र जज को दिया है. उसकी जानकारी आज बुलाए गए संवाददाता संमेलन में उसने स्थानीय पत्रकार भवन में दी. इस किसान का नाम आनंद कांबले (62) है. वह कलंब के हिवरा दरणे का निवासी है. उसकी सुकली गाव में 10 एकर खेती है. वह गाव का उपसरपंच था.  उसका कार्यकाल पुरा होने के बाद उसने फिरसे राजनिती में नही रहने का निश्चय कर लिया. यही उसका निर्णय उसके परेशानी का सबब बना.  योंकी वह चुनाव में खडा नही रहता इसके वजह से उसे त्रस्त करना शुरू किया गया. तबसे आजतक उसकी त्रासदी  का सिलसिला चलता आ रहा है. इस गाव के सरपंच, सचिव, पटवारी सब ने उसे बुरी तरह छला है. इसलिए इन सभी के खिलाफ कड़ी कारवाई के साथ अॅट्रोसिटी का गुनाह दर्ज करने की मांग उसने की है. इस गाव में उसके बापदादा रहते आ रहे थे. इस गाव में दरणे परिवार मुख्य है. उसने एक कांग्रेस और एक राष्ट्रवादी के गुट के है. यह दो गुटो में जबसे गाव विभाजीत हुआ तबसे राजनिती वर्चस्व के लिए एकदुसरे का नुकसान कर रहे है. कभी आदर्श गाव के रूप में रहा हिवरा दरणे गाव आज विवाद के लिए सुप्रसिद्ध हो चुका है. गत 35 वर्षो से उसे सताया जा रहा है. घरकुल का लाभ नही दिया गया मगर अन्य परिवारों को 2 से 3 बार इस योजना का लाभ दिया गया. सरपंच, सचिव और पटवारी कागज सही होने के बावजूद गलतीया निकालकर उसके प्रस्ताव नामंजूर कर देते है. बँक से फसलकर्ज नही मिलता. पटवारी, ग्रामसेवक, और सरपंच जरूरी प्रमाणपत्र नही देते है. पंचायत समिती मे से बैल ओर गाडी के लिए आवेदन करने पर कर्ज नही मिलीता. ग्राम पंचायत मे जाने के बाद घरटैक्स नहीं लिया जाता. पटवारी खेती का टैक्स नही लेता. पुलिस थाने में शिकायत नही ली जाती. इसके विपरीत इसी किसान पर कारवाई न करने के लिए पॅैसे मांगे जाते है. इस किसान के  खेत के आजुबाजु के किसानों को वर्ष 2012-13 में कपास पर लाल्या रोग के पैसे मिले, मगर इसका नाम सुची से काट दिया गया. जब इसका कारण पुछा तो खेती टैक्स  क्यों नही भरा ऐसा दो टुक जबाब दिया गया.

तो दुसरी ओर उसके पास से खेती टैक्स लिया नही जाता. इस किसान का घर ढहने की कंडीशन में है. इसके बावजूद घरकुल शौचालय का लाभ नही दिया जाता है. गाव में नल योजना है, बाकी लोगों को नल के कनेक्शन दिए गए है. मगर इस व्यक्ती को नल नही दिया जाएगा ऐसा ग्रामसेवक ने कहा. खेती के लिए गाव की सहकारी सोसाइटी से कर्ज मांगने जाने पर कर्जा नही मिलेगा ऐसा लोणकर नामक सचिव बताता है. खेती करने पर फसल में बकरीयां छोड़ दी जाती है.

शिकायत करने के बाद उनके खिलाफ कारवाई नही होती है. पंचायत समिती के उपसभापती विजय सुरे, महादेव सुटे बारबार जान से मारने की  धमकी देते है. खेती के सीमा पर से झगडे करते है. इन सब बाते से परेशान होकर इस किसान ने आत्महत्या करने का निर्णय हायकोर्ट के जज को बताया है. 19 अप्रैल 2000 मे भी उसने त कालीन तहसीलदार को इस प्रकार के आ मह या की चेतावनी दी थी. जिससे उसे गिरफ्तार कर पांच दिन पुलिस हिरासत में रखा गया था. इसीलिए उसने अब उच्च  न्यायालय के जज जिलाधिकारी, एसपी, तहसीलदार, थानेदार कलंब, बीडीओ और समाचारपत्रों के संवाददाताओ को पत्र लिखकर इन लोगों के खिलाफ कड़ी कारवाई करें या आत्महत्या करूँ गा, उसने आज भी संवाददाता संमेलन में सभी प्रमाणपत्रों के साथ आत्महत्या करने की बात दोहराई है.