Published On : Mon, Apr 16th, 2018

मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में असीमानंद सहित सभी आरोपी बरी

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हैदराबाद के मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में सोमवार को नामपल्ली कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 11 साल पहले 18 मई 2007 को एक दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम देते हुए आतंकियों ने मक्का मस्जिद में धमाका किया था।

इस मामले में विशेष एनआईए (नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी) अदालत ने आरोपी स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। आज इस मामले पर फैसला सुनाने के लिए आरोपी असीमानंद को नमापल्ली कोर्ट में लाया गया था। स्वामी असीमानंद इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे। एनआईए ने 2011 में यह मामला सीबीआई से अपने हाथों में लिया, जिसमें 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।

कब हुआ था धमाका?

18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें पांच और लोग मारे गए थे। इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।

ये थे आरोपी

जांच के बाद इस घटना को लेकर 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे। स्वामी असीमानंद सहित, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी घोषित किया गया था। दो आरोपी रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे अभी फरार हैं। एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी।

कौन है स्वामी असीमानंद

स्वामी असीमानंद एक पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता थे। उन्हें मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में 19 नवंबर, 2010 को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने लिखित तौर पर कहा था कि अभिनव भारत के कई सदस्यों ने मस्जिद में बम विस्फोट की साजिश रची थी। बाद में स्वामी असीमानंद को 23 मार्च 2017 को जमानत दे दी गई।

असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया था। साथ ही मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है।