नागपुर– कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन के दरम्यान जो मजदुर पलायन कर अपने घर जा रहे थे. उस दरम्यान कितने मजदूरों की मौत हुई वो डेटा केंद्र सरकार के पास नहीं और उन मृतक मजदूरों के परिवार वालो को प्रधानमंत्री की और से क्या मदत मिली यह भी जानकारी न होने के चलते दोनो आरटीआई खारिज किए जाने की जानकारी सामने आयी है.
नागपुर शहर के RTI कार्यकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने 8 मई 2020 को प्रधानमंत्री ऑफिस में ऑनलाइन याचिका डालकर जानकारी मांगी थी. जिसमें पहली जानकारी उन्होंने मांगी थी कि लॉकडाउन के दौरान जो मजूदर पैदल अपने अपने शहर जा रहे थे, उनमें से कितने मजदूरों की मौत हुई , और दूसरी जानकारी उन्होंने मांगी थी की जो मजदुर यात्रा के दौरान मरे है, उनको प्रधानमंत्री की ओर से क्या लाभ दिया गया है. इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस आरटीआई को मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स को भेजा गया. लेकिन दोनों ही आरटीआई की जानकारी में इनको कहा गया है की इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.
जहां एक तरफ कोरोना के संक्रमण के कारण सभी भयभीत थे. लेकिन भारत में पैसे, काम, खाने पिने की चीजें नहीं होने के कारण लाखों मजदूरों ने पैदल ही हजारों किलोमीटर का रास्ता तय किया। जिसमें कई मजदूरों की, महिलाओ की मौत हुई थी. लेकिन गरीबों की हितैषी बननेवाली सरकार के पास कितने मजदुर मरे और कितने मरनेवाले मजदूरों को प्रधानमंत्री की ओर से उनके परिजनों को मदद दी गई. इसकी कोई भी जानकारी नहीं देना, कही न कही गरीब हितैषी बननेवाली सरकार के दावों की पोल खोलती है.
इस पूरे मामले में शहर के आरटीआई कार्यकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने ‘ नागपुर टुडे ‘ से बात करते हुए कहा की उन्होंने ऑनलाइन आरटीआई के जरिये दो ही विषयों पर जानकारी मांगी थी, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह एप्लीकेशन मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स को भेजी और इसके बाद उन्होंने भी जानकारी नहीं दी. इससे पता चलता है की भाजपा सरकार गरीबों की कितनी बड़ी हितैषी है.