Published On : Tue, Sep 21st, 2021

हिंदी की धारा बह निकली

-राष्ट्रभाषा सभा का कवि सम्मेलन संपन्न

नागपुर– महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा द्वारा शंकरनगर के सभागार में एक हिंदी पखवाड़े के अवसर पर एक सरस हिंदी सम्मेलन का आयोजन हाल ही में किया गया. इसकी अध्यक्षता सभा के अध्यक्ष अजय पाटिल ने की. उन्होंने कहा कि भारत देश की राजभाषा है, हमें राष्ट्रभाषा बनाने के लिए और अधिक प्रयत्न करने होंगे. विश्व स्तर पर हिंदी बोलचाल की भाषा के रूप में स्वीकार है. जरूरत है हिंदी को स्वीकार करने की.

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपत्रिका के संपादक कृष्ण नागपाल ने हिंदी को स्थापित करने के लिए प्रयास की जरूरत और महत्व विशद किया. उन्होंने कवि हस्तीमल हस्ती की कविता पढ़ी. इसी क्रम में दूसरे मुख्य अतिथि और दैनिक राष्ट्रप्रकाश के कार्यकारी संपादक सुदर्शन चक्रधर ने हिंदी को केंद्र में रख काव्य पाठ किया. उनके बोल थे-

खंड खंड देश के अखंड अंधकार में
प्रचंड हो प्रकाश ऐसी रोशनी फैलाइए.
यमराज से संवाद करते हुए उन्होंने सुंदर व्यंग भी प्रस्तुत किया. प्रा. सुभाष वरहोकर ने यथार्थ परक हिंदी को लेकर वृक्ष के माध्यम से अपनी व्यथा व्यक्त की.

कार्यक्रम में सुपरिचित कवि महेश तिवारी, पारसनाथ शर्मा, राजेश परमार, रविंद्र देवघरे शलभ, सुरेंद्र मेश्राम, तन्हा नागपुरी, सुधाकर त्रिफला, बलवंत भोयर, सुभाष वरषेकर , अनिकेत के साथ माधुरी राउलकर, अलका देशपांडे, वीणा आडवाणी, प्रभा मेहता, विशाखा कांबले, नीरज ओमप्रकाश श्रीवास्तव आदि कवियों ने अपनी सरस् रचनाएं सुनाकर वाहवाही बटोरी. अतिथियों का स्वागत व प्रस्तावना कार्यक्रम संयोजक डॉ. आनंद शर्मा ने और कवि सम्मेलन का कुशल संचालन संस्था के कार्यवाहक सचिव नरेंद्र परिहार ने किया. आभार राजेश परमार ने माना. बडी संख्या में साहित्य-प्रेमी श्रोता उपस्थित थे.

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