नागपुर:एचबी टाउन योजना के तहत निर्माणाधीन एक विवादित परिसर की दीवार को लेकर चल रहे कानूनी विवाद में बड़ा मोड़ आया है। हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश पर लगाई गई रोक को हटा दिया है, जिससे नागपुर सुधार प्रन्यास (एनआईटी) को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।
दरअसल, विकास योजना के अनुसार एक 18 मीटर चौड़ी प्रस्तावित सड़क पर एचबी टाउन रेसिडेंस एसोसिएशन द्वारा एक कंपाउंड वॉल बनाई गई थी। इसे अतिक्रमण मानते हुए प्रन्यास ने 7 जुलाई 2023 को नोटिस जारी कर दीवार तोड़ने के निर्देश दिए थे। इस नोटिस के खिलाफ एचबी टाउन परिवार की ओर से पहले सिविल न्यायालय में केस (सिविल सूट क्र. 251/2024) दायर किया गया, और बाद में एक एमसीए (Miscellaneous Civil Application) 137/2024 दाखिल की गई।
3 मई 2025 को जिला न्यायाधीश-6 ने एमसीए को खारिज कर दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए एचबी टाउन की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर जिला न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, गुरुवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने यह रोक हटा दी, जिससे एचबी टाउन एसोसिएशन को झटका लगा है।
पृष्ठभूमि: क्या था विवाद?
एनआईटी द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया था कि एचबी टाउन ने 18 मीटर सड़क के हिस्से पर दीवार बनाकर अतिक्रमण किया है। वहीं, एचबी टाउन की ओर से दावा किया गया कि यह दीवार लगभग 20 वर्षों से परिसर की सीमा के रूप में खड़ी है और यह कोई अवैध निर्माण नहीं है। संगठन ने यह भी बताया कि संबंधित लेआउट प्लान पहले ही एनआईटी द्वारा 30 सितंबर 2005 को संशोधित व स्वीकृत किया जा चुका है।
संगठन ने एनआईटी को 10 जुलाई 2023 को लिखित जवाब भी दिया था, जिसमें स्पष्ट किया गया कि उक्त दीवार स्कीम की सुरक्षा के लिए बनाई गई है और इसे अवैध करार नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट में क्या हुआ?
हाई कोर्ट में दायर याचिका में अपीलकर्ताओं ने कहा कि दीवार योजना के स्वीकृत नक्शे के अनुसार ही है और सिविल सूट में दस्तावेज व मौखिक साक्ष्यों की जांच में समय लगेगा। इसलिए उन्होंने 3 मई 2025 के आदेश पर स्थगन की मांग की थी। अब हाई कोर्ट ने वह स्थगन हटाते हुए जिला न्यायाधीश के आदेश को बहाल कर दिया है।