नागपुर: हाईकोर्ट की अवमानना के लिए 2 माह की सुनाई गई सजा को माफ किया जाए या नहीं, इसका फैसला करने से पूर्व स्वयं पर दर्ज आपराधिक मामले, दिवानी मामले और अन्य शिकायतों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश न्यायाधीश झका हक और न्यायाधीश वी.एम. देशपांडे ने अधि. सतीश उके को देते हुए सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील केतकी जोशी ने पैरवी की.
न्यायाधीश पर लगाए थे गंभीर आरोप
विशेषत: 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव का नामांकन पत्र दाखिल करते समय मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा दिए गए शपथपत्र में 2 अपराधों की जानकारी छिपाए जाने का आरोप अधि. उके की ओर से लगाया गया था.
उके का मानना था कि शपथपत्र में सही जानकारी नहीं होने से लोगों तक यह जानकारी नहीं पहुंच पाई. जिससे उनका चुनाव रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान उके की ओर से मामले की सुनवाई करनेवाले तत्कालीन न्यायाधीश द्वारा सुनवाई ना की जाए,
इसका अनुरोध करते हुए अर्जी में गंभीर आरोप भी लगाए थे. जिसे गंभीरता से लेते हुए अदालत ने उसके खिलाफ फौजदारी अवमानना की प्रक्रिया शुरू की थी.
माफी मांगने की दिखाई तैयारी
अवमानना की प्रक्रिया के दौरान अदालत ने 28 फरवरी को अधि. उके को दोषी करार देते हुए 2 माह की जेल और 2 हजार रु. जुर्माने की सजा सुनाई थी. लेकिन इसी समय से उके फरार हो गया था.
इसी बीच सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की. हालांकि सुको की ओर से अपील तो ठुकरा दी गई, लेकिन बाद में दायर पुनर्विचार अर्जी में उके की ओर से माफी मांगने की तैयारी दिखाए जाने पर अदालत ने हाईकोर्ट के समक्ष जाने के आदेश जारी किए.
सुको के आदेशों के अनुसार उके की ओर से हाईकोर्ट में बिनाशर्त माफी मांगी गई. लेकिन इस पर फैसले के पहले उसके खिलाफ अब तक विभिन्न प्राधिकरण के पास कितने मामले लंबित है, इसकी जानकारी उजागर करने के आदेश दिए.