Published On : Mon, Jan 30th, 2017

दोनों आदिवासी युवतियों ने उच्च न्यायालय में कहा, ‘नहीं, हमारे साथ नहीं हुआ बलात्कार’ और उन्हें इंसाफ दिलाने वाले ही बन गए गुनाहगार

Advertisement

Nagpur Bench of Bombay High Court
नागपुर:
गढ़चिरोली जिले के एटापल्ली तहसील के गट्टा थानान्तर्गत निवासी दोनों युवतियों ने आज उच्च न्यायालय में इस तथ्य से साफ इंकार कर दिया कि उनके साथ किसी पुलिसकर्मी या सुरक्षा जवान ने कोई बलात्कार किया है, साथ ही उन्होंने आरोप भी लगाया कि उनके लिए इंसाफ मांगने वालों ने ही दरअसल उनका अपहरण किया था और पुलिस पर बलात्कार का आरोप लगाने के लिए कहा. दोनों आदिवासी युवती के ताज़ा बयान ने आज उच्च न्यायालय में पूरे मामले को सिर के बल खड़ा कर दिया और उन दोनों युवतियों के लिए इंसाफ की गुहार लगाने वाले समाजसेवियों को गुनाहगार के कटघरे में पहुँचा दिया. अदालत के बाहर यह चर्चा जोरों पर है कि पुलिस ने दबाव बनाकर दोनों युवतियों के बयान बदलवा दिए. इसके लिए साम और दण्ड की नीति का अनुसरण पुलिस वालों द्वारा अख्तियार करने की चर्चा भी जोरों पर रही.

उल्लेखनीय है उक्त दोनों युवतियों पर पुलिस के जवानों द्वारा बलात्कार किए जाने के आरोप लगाकर गढ़चिरोली जिले में कार्यरत एक्टिविस्ट सैनु गोटा, उनकी पत्नी शीला गोटा, मंगेश होळी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय में पैरवी करने के लिए ये तीनों शनिवार को नागपुर के सिविल लाइन्स स्थित एड. निहाल सिंह राठोर से संपर्क किया था. उनके साथ दोनों पीड़ित युवतियां भी थी. गढ़चिरोली पुलिस ने दोनों पीड़ित युवतियों और उन तीनों एक्टिविस्टों को एड. राठोर के दफ्तर से यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया था कि वे तीनों पुलिस की छवि धूमिल करने की योजनाबद्ध कोशिश कर रहे हैं. एड. निहाल सिंह राठोर ने इस तरह अपने मुवक्किलों की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए इसे न्यायदान की प्रक्रिया में हस्तक्षेप माना और उच्च न्यायालय में तत्सम्बंध में याचिका दायर की. उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की दो न्यायाधीशों की बेंच ने रविवार को अदालत खुलवाकर उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को सख्त आदेश दिया कि तीनों एक्टिविस्ट को छोड़ा जाए और बलात्कार पीड़ित दोनों युवतियों को पुलिस के गिरफ्त से छुड़ाकर नारी कल्याण केंद्र में रखा जाए. आगे की सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय ने आज की तारीख मुकर्रर की थी.

आज सोमवार को उच्च न्यायालय में जो हुआ, उसने सभी को हैरत में डाल दिया. आज अदालत में दोनों पीड़ित युवतियों ने साफ़ कहा कि उन पर किसी तरह का कोई बलात्कार नहीं हुआ है और तीनों एक्टिविस्ट सैनु गोटा, उनकी पत्नी शीला गोटा और मंगेश होळी ने उनका अपहरण कर, अदालत में पुलिस के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया था. दोनों युवतियों के बयान से पूरा मामला सिर के बल पलट गया और कानून की शरण जो लोग इंसाफ की गुहार लगाने आए थे, उसी दहलीज पर वे अपहरण और शासन के खिलाफ षडयंत्र करने के आरोपी बना दिए गए.

क्या था मामला
गढ़चिरोली जिले के एटापल्ली तहसील की कई आदिवासी लड़कियां, जिले की सीमा से सटे छत्तीसगढ़ राज्य के कई जिलों में ब्याही गयी हैं. समय-समय पर ये विवाहित युवतियां अपने मायके आना-जाना करती रहती हैं. इस मामले की दोनों पीड़ित आदिवासी युवतियां भी छत्तीसगढ़ स्थित अपने ससुराल से चलकर अपने मायके एटापल्ली तहसील के गाँव जाने के लिए 20 जनवरी की दोपहर निकली थीं, लेकिन अपने मायके दोनों 23 जनवरी को पहुँची.

अपने मायके पहुंचकर दोनों ने बताया कि बीते तीन दिनों में उनके साथ पुलिस के जवानों ने कई बार बलात्कार किए. गाँव की बच्चियों के साथ हुए दुराचार की खबर आसपास के गांवों में भी जंगल के आग की तरह फ़ैल गयी. गट्टा ग्रामपंचायत की सरपंच शीला गोटा को भी इस मामले की जानकारी हुई तो वह दोनों पीड़ित युवतियों को लेकर गट्टा पहुँची, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत लेने से इंकार कर दिया. पुलिस के इस नकारात्मक रवैये की जानकारी जब ग्रामीणों को हुई तो उन्होंने थाने का घेराव किया. पुलिस ने दबाव को देखते हुए दोनों युवतियों की मेडीकल जाँच कराने और फिर रिपोर्ट दर्ज करने की बात स्वीकार की. गट्टा थाने के पुलिसवालों ने दोनों युवतियों को थाने में ही रात में रोक लिया, लेकिन दोनों युवतियों के परिजन भी वही थाने में रुक गए. सुबह परिजनों ने जागने पर पाया कि दोनों पीड़ित युवतियां गायब हैं. तलाश करने पर मालूम हुआ कि पुलिस उन्हें लेकर मेडीकल कराने गढ़चिरोली चली गयी है. लेकिन पुलिस ने दोनों युवतियों को निजी वाहन के जरिए उनके ससुराल भेज दिया था. परिजनों ने गाँव लौटना चाहा तो पुलिस ने उन्हें नहीं जाने दिया. लेकिन परिजन जैसे-तैसे भागकर गाँव पहुंचे और शीला गोटा को सारी बात बतायी. शीला गोटा और उनके पति ने दोनों युवतियों को उनके ससुराल से लेकर नागपुर जाने और उच्च न्यायालय से मेडिकल कराने के लिए गुहार लगाने का मन बनाया और यहाँ एड. निहाल सिंह राठोर के पास आ पहुंचे, जहाँ से पुलिस ने तीनों एक्टिविस्टों और दोनों पीड़ित युवतियों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने ऐसे की गिरफ़्तारी
एड. निहाल सिंह राठोर के दफ्तर में उच्च न्यायालय में फरियाद लगाने के लिए दस्तावेज तैयार हो रहे थे, दोनों युवतियां लघुशंका के लिए एड. निहाल सिंह के दफ्तर के पास बने सुलभ शौचालय गयीं. शीला गोटा भी उनके साथ थीं. फारिग होकर वे तीनों जब एड. राठोर के दफ्तर की तरफ़ बढ़ी तो एक पुलिस वाहन तेजी से उनके पास पहुँचा और दोनों पीड़ित युवतियों को पकड़कर पुलिस वालों ने वाहन में खींचने की कोशिश की. शीला गोटा ने इस बात का विरोध किया और शोर सुनकर शीला के पति सैनु भी वहां पहुँच गए. उन्होंने भी पुलिस वालों की इस जबरन कार्रवाई का विरोध किए तो पुलिस वालों ने उन्हें गाड़ी में खींच लिया. इस बीच शीला दोनों युवतियों को लेकर एड. निहाल सिंह के दफ्तर में आ गयी, जहाँ से शीला, दोनों पीड़ित युवतियों, मंगेश होळी नामक समाजसेवी एवं रामदास जाराते नामक राजनीतिक कार्यकर्ता को सादी वर्दी में पहुंचे गढ़चिरोली पुलिस बल के जवानों ने सीताबर्डी पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिया.

दोनों पीड़ित युवतियों ने बयान क्यों बदले
आज उच्च न्यायालय में जब दोनों पीड़ित आदिवासी युवतियों ने कहा कि उनके साथ किसी ने भी कभी कोई बलात्कार नहीं किया है तो इंसाफपसंद लोगों की आँखें फटी की फटी रह गयी. क्योंकि इन्हीं दोनों युवतियों ने पहले पुलिस पर बलात्कार का आरोप लगाया था. दोनों युवतियों के आज के बयान के बाद यह चर्चा होने लगी कि आखिर उन दोनों युवतियों के साथ ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अपना बयान बदलने पर मजबूर होना पड़ा? जिन युवतियों को गोंडी बोली के अलावा न मराठी आती है और न ही हिन्दी आखिर दुभाषिए के माध्यम से पुलिस ने उनके बयान दर्ज कैसे कर लिया? उच्च न्यायालय में भी दोनों युवतियों ने अपने बयान गोंडी बोली में ही दिए थे और दुभाषिए ने अदालत के समक्ष उनके बयान का मराठी और अंग्रेजी में तर्जुमा किया था.

छत्तीसगढ़ पुलिस आखिर क्या कर रही थी उच्च न्यायालय में?
आज उच्च न्यायालय में डेढ़ सौ से ज्यादा छत्तीसगढ़ जिले के पुलिस के जवान क्या कर रहे थे? उनका आखिर इस मामले से क्या लेना-देना है?

रामदास जाराते कौन है
पुलिस ने रामदास जाराते को भी एड. निहाल सिंह राठोर के दफ्तर से गिरफ्तार किया है, उन्हें भी सैनु गोटा, शीला गोटा और मंगेश होळी का साथी माना जा रहा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि वह राजनीतिक कार्यकर्ता है और एटापल्ली में होने वाले जिला परिषद चुनाव के संबंध में नागपुर आया था और एड. निहाल से तत्सम्बंध में कुछ मशविरा करने के लिए रुका था कि तभी पुलिस पहुँची और अन्य लोगों के साथ उसे भी गिरफ्तार कर ले गई.

सुरजागढ़ आन्दोलन के वजह से गिरफ़्तारी
सूत्रों के मुताबिक सैनु गोटा, शीला गोटा, मंगेश होळी और रामदास जाराते ने सुरजागढ़ में लौह-अयस्क खनन का कार्य निजी कंपनी को दिए जाने का मुखर विरोध किया था. उनके साथ वहां के ग्रामीणों ने भी पुरजोर विरोध किया था. पुलिस को तभी से इन पर नक्सलियों से मिले होने का संदेह था और दोनों आदिवासी महिलाओं के बहाने उन पर नकेल कसने का मौका मिल गया.