नागपुर: एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायलय की नागपुर खंडपीठ ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। मनपा चुनाव के संदर्भ में हाईकोर्ट में दर्ज की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश बीआर गवई और आईके जैन की दोहरी पीठ ने राज्य चुनाव आयोग, केंद्रीय चुनाव आयोग, नागपुर महानगर पालिका और राज्य सरकार के शहरी विकास मंत्रालय से चार हफ़्ते के भीतर पीआईएल में उठाये गए सवालों पर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
इसी महीने की दो तारीख को आम मतदाता के तौर पर हाल ही में हुए मतदान प्रक्रिया पर संशय व्यक्त करते हुए राकेश मोहोड़, चंद्रकांत सोमकुंवर और जयनारायण शर्मा ने जनहित याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने मतदाता के अधिकारों का सवाल उठाया था। याचिका में चुनाव के दौरान मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी का संशय व्यक्त किया गया है। याचिका के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से हुए मतदान में गड़बड़ी की पूरी आशंका है। यह संभव भी है कि उसके साथ छेड़छाड़ भी की जा सके। ऐसे में सवाल अधिकार का है औए ऐसी कोई व्यवस्था है नहीं जिससे की मतदाता द्वारा किया गया मतदान उसके मुताबिक हुआ भी है या नहीं इसका पता चल सके।
याचिका में वर्ष 2013 में देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा दिए गए निर्णय और उसके बाद चुनाव आयोग द्वारा दी गयी अंडरटेकिंग की अवहेलना किये जाने का भी मुद्दा उठाया गया है। सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने लोकतंत्र को मजबूत बनाने और आम मतदाता का चुनाव प्रक्रिया में विश्वास स्थापित करने के लिए वीवीपैड सिस्टम यानि पेपर ऑडिट ट्रेल प्रक्रिया से चुनाव लेने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद मात्र एक बार नागालैंड में इस व्यवस्था को अपनाया गया। देश भर में हर साल चुनाव होते हैं। हर बार यह मुद्दा उपस्थित किया जाता है बावजूद इसके अब तक मतदाता को भरोसा दिलाने वाली प्रक्रिया का अब तक इंतजार है।
सभी प्रतिवादियों को चार हफ्ते के भीतर अपना जवाब अदालत को देना है। जिसके बाद मामले में अगली सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रोहन छाबड़ा ने पैरवी की।