Published On : Tue, Nov 22nd, 2016

मेट्रो की निविदा पर सवाल उठाने वाली कंपनी को हाईकोर्ट ने दिया झटका

nagpur high court
नागपुर:
मेट्रो रेल डब्बा उत्पादन की निविदा प्रक्रिया में आपत्ति उठाने वाली याचिका को मुंबई उच्च न्यायलय की नागपुर खंडपीठ द्वारा ख़ारिज किये जाने के बाद भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर अदालत ने 1 लाख रूपए का कॉस्टस् जुर्माना लगाया है। न्यायाधीश भूषण गवई और विनय देशपांडे की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत के इस फैसले के बाद नागपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को बड़ी राहत मिली है। टीटागड गन कंपनी व टिटागड फायरमा अ‍ॅडलर एसपीए कंपनी ने अदालत में याचिका दाखिल की थी। मेट्रो रेल के डब्बो के उत्पादन का ठेका देने के लिए 25 जनवरी 2016 को नोटिस जारी कर निविदा मगायी थी। काम हासिल करने के लिए टिटागड कंपनी के साथ ही चायना रेल्वे रोलिंग स्टॉक कार्पोरेशन कंपनी ने भी अपनी निविदा जमा करायी थी।

इस दौरान टिटागड कंपनी ने मेट्रो को निवेदन देकर चायना रेल्वे कंपनी को इस निविदा के लिए अपात्र होने का दावा किया था। मेट्रो ने इस निवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया। और काम चायना रेल्वे कंपनीला को दिया गया। मेट्रो द्वारा मंगायी गई निविदा में टिटागड कंपनी 852 करोड़ जबकि चायना रेल्वे कंपनीने 851 करोड़ रूपए की बोली लगायी थी। काम चायना रेल्वे कंपनी को मिलने के बाद टिटागड कंपनी ने मेट्रो पर अवैध तरीके से काम चायना रेल्वे कंपनी को दिए जाने का दावा करते हुए अदालत में रिट याचिका दर्ज करायी थी। 5 अक्टूबर 2016 को अदालत ने याचिका को ख़ारिज कर दिया। बावजूद इसके इस फैसले पर पुनर्विचार की याचिका करते हुए एक अन्य याचिका अदालत में की गयी।

फैसले के बाद फिर से याचिका दर्ज कराने की वजह से अदालत ने टिटागड कंपनी पर 1 लाख रूपए कॉस्टस् लगाते हुए आगामी दो महीने के भीतर इसे मुख्यमंत्री सहायता निधि में जमा कराने का आदेश दिया है। कंपनी को यह रकम जमा करने के बाद उसकी रसीद अदालत में जमा करानी है। इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील श्रीहरी अणे व अ‍ॅड. अंजन डे जबकि मेट्रो की तरफ से वरिष्ठ वकील एस. के. मिश्रा व अ‍ॅड. कौस्तुभ देवगडे ने और चायना रेल्वे कंपनी की ओर से वरिष्ठ वकील सुनील मनोहर ने पैरवी की।

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