Representational Pic
नागपुर: गोंदिया जिले के आमगांव से 20 जुलाई 2013 की शाम अपहृत आरुषि मामले की जाँच अब सीआईडी अर्थात अपराध जाँच विभाग करेगी। अपहृत आरुषि के माता-पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की एक बेंच ने आज यह महत्त्वपूर्ण फ़ैसला दिया। आरुषि के माता-पिता ने आमगांव पुलिस के थानेदार पी. डी. पांढरे पर जाँच में कोताही बरतने और अपहरण में शामिल संदिग्धों को बचाने का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की जाँच सीआईडी से कराने की मांग करती याचिका उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दायर की थी।
ज्ञात हो कि आज से तीन साल पहले, पांच वर्षीय (उस समय की उम्र) बच्ची आरुषि का 20 जुलाई 2013 को घर के सामने से अज्ञात लोगों ने अपहरण कर लिया था। अपने अभियोग में आरुषि के माता-पिता वंदना सूर्यवंशी और आनंद सूर्यवंशी ने कुछ लोगों पर अपहरण का संदेह जताया था। लेकिन इस मामले के जाँच अधिकारी आमगांव के थानेदार पी. डी. पांढरे ने उस वक़्त अदालत में साफ झूठ बोला था कि आरुषि के माता-पिता ने किसी पर संदेह नहीं जताया था। इतना ही नहीं जाँच के दौरान एक संदिग्ध के घर में आरुषि का दुपट्टा मिला था, लेकिन पांढरे ने अपनी जाँच रिपोर्ट में उस दुपट्टे का उल्लेख तक नहीं किया था. वंदना और आनंद सूर्यवंशी आमगांव पुलिस के इस रवैये से सकते में थे और समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर जाँच अधिकारी संदिग्धों को बचाने पर क्यों तुला हुआ था?
सूर्यवंशी दंपत्ति ने अपनी बेटी को ढूँढने और मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए उच्च स्तरीय जाँच की मांग उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में की थी। उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायधीश द्वय भूषण गवई एवं अतुल चांदुरकर की बेंच ने एकमत से मामले की जाँच राज्य सीआईडी से कराने के आदेश देते हुए आमगांव पुलिस को सात दिनों के भीतर जाँच से जुड़े सारे दस्तावेज सीआईडी को सौंपने को कहा। उच्च न्यायालय ने थानेदार पी. डी. पांढरे के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश भी राज्य सरकार को दिए हैं। एड. ओमनारायण गुप्ता ने सूर्यवंशी दम्पति की ओर से उच्च न्यायालय में पैरवी की।
उच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद सूर्यवंशी दम्पति के भीतर अपनी बेटी आरुषि के मिलने और न्याय पाने की उम्मीद फिर जाग गयी है।