अहमदाबाद: हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर जैसे नेताओं के उभार से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिलती चुनौती के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने राज्य के अपने 12 विभागों को “हिंदुओं को एकजुट” करने का दायित्व सौंपा है। आरएसएस को लग रहा है कि गुजरात का हिंदू समाज “विभाजनकारी राजनीति” का शिकार हो रहा है। आरएसएस के विभागों की बहुत जल्द इस बाबत बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि बैठक में अपने-अपने समुदायों के नेता के तौर पर उभर रहे इन युवाओं का प्रभाव खत्म करने के लिए रणनीति पर चर्चा होगी। हार्दिक पटेल पाटीदार समाज, अल्पेश ठाकोर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और जिग्नेश मेवानी दलित समुदाय से संबंध रखते हैं। आरएसएस कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात दौरे में विभिन्न मंदिरों में दर्शन करने पर भी नजर रखे हुए है। गुजरात में पिछले दो दशकों से बीजेपी सत्ता में है।
हार्दिक पटेल अपनी सभाओं में बीजेपी को वोट न देने की अपील कर रहे हैं। हार्दिक पिछले दो साल से पाटीदारों को आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलनरत हैं। उना में दलितों की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हुए आंदोलन के नेता के तौर पर उभरे जिग्नेश मेवानी हाल ही में राहुल गांधी से मिले थे। अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और पार्टी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। गुजरात में नौ दिसंबर और 14 दिसंबर को विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होगा। नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे।
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हिंदू समाज के अभिन्न अंग विभिन्न समुदायों के बीच बढ़ता वैमनस्य राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक समरसता के लिए अच्छा संकेत नहीं है। बहुतों से लोगों के निजी हित और कांग्रेस द्वारा जाति का कार्ड खेले जाने से संघ के लिए ये जरूरी हो गया है कि वो समाज को विभाजनकारी ताकतों का शिकार बनने से रोके और उसे एकजुट करे। हम लोगों से विकास के मुद्दे पर वोट देने की अपील कर रहे हैं।”