Published On : Tue, Aug 15th, 2017

अब तक नहीं आए दिशानिर्देश, विद्यार्थी प्रतिनिधि चुनाव हो सकते है रद्द

Nagpur University
नागपुर:
 कॉलेज के चुनाव के दौरान विद्यार्थी संगठनों में होनेवाले राजनैतिक हस्तक्षेपों, गुंडागर्दी, मारपीट जैसी घटनाओं के बढ़ने से 1994 में इन चुनाव को बंद करने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया था. लेकिन कुछ वर्ष पहले सभी स्तरों पर विद्यार्थी प्रतिनिधि की मांगों को देखते हुए महाराष्ट्र सार्वजानिक विश्वविद्यालय अधिनियम लागू किया गया है. जिसके अनुसार कॉलेज और विश्वविद्यालय के विभागों को ओपन चुनाव कराने की सहूलियत मिली है.

इस अधिनियम के तहत सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विभागों को चुनाव कराना अनिवार्य है. लेकिन कॉलेज के विद्यार्थियों चुनावों के कारण 23 साल बाद फिर इन घटनाओं से कॉलेजों को परेशान होना पड़ेगा. इसी बात का डर सताने के कारण शैक्षणिक सत्र शुरू हुए डेढ़ महीना होने के बाद भी सरकार की ओर से दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए हैं. सूत्रों के अनुसार यह एक बड़ी वजह हो सकती है जिससे इस वर्ष भी चुनाव नहीं होने के आसार नजर आ रहे हैं.

पुराने विश्वविद्यालय कानून के अनुसार क्लास में सबसे पहले आनेवाले विद्यार्थियों को वर्गप्रतिनिधि के रूप में चुना जाता था. लेकिन अब यह चुनाव ग्रेजुएट विद्यार्थियों के मतदान से होनेवाला है. लेकिन दो साल पहले नया विश्वविद्यालय कानून लागू होने के कारण विश्वविद्यालय में सभी तरह के चुनाव ठप्प पड़े हुए हैं.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement