Published On : Wed, Jan 18th, 2017

इतिहास में पहली बार सरकार ने आरबीआई को दिया निर्देश, मौजूदा गवर्नर मोदी के सामने नतमस्तक – पृथ्वीराज चव्हाण

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Prithviraj Chavan, Congress Press Conference
नागपुर:
डिमोनिटाइजेशन के विरोध में नागपुर में आरबीआई के सामने काँग्रेस ने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान काँग्रेस पार्टी के नेताओं ने मोदी सरकार और आरबीआई पर जबरजस्त प्रहार किया। प्रदर्शन के बाद आयोजित पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि आरबीआई एक स्वायत्त संस्था है, उसे अपने तरीके से काम करने की आजादी है। लेकिन नोटबंदी के फैसले के बाद यह इतिहास का पहला मौका होगा जब किसी सरकार ने आरबीआई को निर्देश दिया और सरकार के सामने नतमस्तक आरबीआई गवर्नर ने सरकार के आदेश का पालन करते हुए फैसला लागू किया। यह फैसला पूरी तरह विफल रहा इसलिए नैतिकता के आधार पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को इस्तीफा देना चाहिए और प्रधानमंत्री को देश से माफ़ी मांगना चाहिए। पूर्व में इंदिरा गाँधी ने भी ऐसा ही फैसला लिया था जिस पर उन्होंने माफ़ी माँगी थी।

चव्हाण ने कहा कि सरकार और आरबीआई के नोटबंदी पर सामने आये रुख भ्रमित करने वाले हैं। केंद्र के एक मंत्री ने यह फैसला आरबीआई का बताया था जबकि हाल ही में संसदीय समिति के सामने पेश हुए आरबीआई के गवर्नर ने सरकार के आदेश के बाद यह फैसला लिए जाने की जानकारी दी। देश के अटॉर्नी जनरल से सुप्रीम कोर्ट को सरकार का पक्ष रखते हुए बताया था कि नोटबंदी के फैसले के बाद 4 लाख करोड़ रूपए बैंको में वापस नहीं आएगा। 500 और 1000 के नोट जो अर्थव्यवस्था में चलन में थे वो करीब 15 लाख 44 हजार करोड़ के थे लेकिन 97 फीसदी रकम वापस आ चुकी है। अब प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि कितना पैसा वापस आया और उसका कैसे इस्तेमाल होगा। जनता के मन में अब ये सवाल उठने लगा है कि कहीं नोटबंदी के बाद जनता को हसीन सपना दिखाना कोई जुमला तो नहीं था। इस फैसले के संबंध में संसदीय समिति ने सरकार से जानकारी माँगी थी जो नहीं दी गयी।

मामले की जाँच के लिए बने जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी

काँग्रेस ने नोटबंदी के फैसले की जाँच के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी के गठन की माँग की है। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि यह मसला गंभीर है, हर किसी के मन में इस फैसले से जुड़े तथ्यों को जानने का की उत्सुकता है। सरकार संसद में जवाब देने से भाग रही है। प्रधानमंत्री मौन हैं इसलिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी का गठन कर इस मामले की जाँच की जानी चाहिए।

कैशलेस सोसायटी का सपना नहीं, ये तो स्कैम है
चव्हाण के मुताबिक कैशलेस इकॉनमी की वैकल्पिक व्यवस्था बनाना सरकार का ध्येय नहीं है। यह एक स्कैम है। प्रधानमंत्री कह रहे है कार्ड से पेमेंट को जनता अपनाये। पर अगर जनता 500 रूपए का व्यवहार कार्ड के माध्यम से करती है तो उसे 1 से लेकर ढाई प्रतिशत तक चार्ज देना पड़ेगा। यह कमीशन सीधे बैंक को जायेगा। कैशलेस का फायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को जायेगा। प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ पहली मुलाकात में बियॉन्ड कॅश एलाइंस मोदी ने बनाया था, इसी के तहत यह सब हो रहा है। कंपनी कितना कमीशन लेगी यह भी सरकार खुल कर नहीं बता रही है। सरकार इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कॉमर्स का निर्माण करना चाहती है इसका किसी को विरोध नहीं है। पर यह भारत के लिए व्यावहारिक नहीं है जिन देशों ने इस व्यवस्था को अपनाया है वहां इस फैसले का जबरजस्त विरोध हो रहा है। आने वाले दिनों में लोग एमडीआर यानी मर्चेंड डिस्काउंट अरेस्ट शब्द को बार-बार सुनेंगे। यह काम गुपचुप ढंग से अंजाम दिया जा रहा है।

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