Published On : Mon, Feb 5th, 2018

धड़ल्ले से हो रही जिले में सरकारी राशन की कालाबाजारी

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Ration Shop

Representational Pic

नागपुर: जो अनाज गरीबों की थैली और थाली में जाना चाहिए वो व्यापारियों की बोरी में जा रहा है. गरीबों का अनाज पचाकर व्यापारी इसे खुले बाजार में बेच रहे हैं. गरीब भूखा मर रहा है और व्यापारी मालामाल हो रहे हैं. अन्न आपूर्ति विभाग द्वारा शहर की राशनिंग दूकानों में भेजा जाने वाला सरकारी अनाज खुलेआम कलमना बाजार में बेचा जा रहा है. आश्चर्य की बात ये है कि न तो अन्न आपूर्ति विभाग इस ओर ध्यान दे रहा है और न ही एपीएमसी का कोई नियंत्रण है. कलमना बाजार परिसर में ही कलमना पुलिस थाना है. लेकिन पूरा प्रशासन आंख मूंदे बैठा है. जाहिर है दलाली में सबके हाथ काले हैं. कीचड़ में पत्थर फेकेंगे तो छींटे तो अपने ही ऊपर आएंगे. इसीलिए सब खामोश हैं. खुलेआम सरकारी अनाज ट्रकों में भरकर कलमना बाजार भेजा जाता है. यहां व्यापारी अपने ही थल्ले पर माल उतारते हैं. खुलेआम माल सरकारी अनाज की बोरी से निकालकर निजी कम्पनी की बोरियों में डाला जाता है. तुरंत ही माल अन्य राज्यों रवाना कर दिया जाता है. गरीबों के पेट पर लात मारकर अनाज तस्कर मालामाल हो रहे हैं.

ज्ञात हो कि इस गोरखधंधे में सब मलाई खा रहे हैं और प्रशासन की मिलीभगत से कालाबाजारी करने वाले आसानी से अपना काम कर रहे हैं. कलमना मार्केट में घुसने पर यह आश्चर्यजनक तस्वीर देखने को मिली. नियमानुसार सरकारी अनाज को तय समय पर राशनिंग की दुकान में पहुंचाना अनिवार्य है. प्रशासन ने कालाबाजारी और अनाज की चोरी रोकने के लिए सिक्यूरिटी सिस्टम तैयार किया. लेकिन सिस्टम तो महज दिखावा बनकर रह गया है. कालाबाजारी करने वाले हर सिस्टम को फेल करना जानते हैं और कहीं न कहीं से चोरी का रास्ता खोज निकालते हैं. पहले तो अनाज सीधे कामठी रोड के लाल गोदाम से निकलकर व्यापारियों के गोदामों में पहुंच जाता था. कारगुजारी उजागर होने के बाद प्रशासन ने सुरक्षात्मक कदम उठाए. अनाज की चोरी न हो इसके लिए प्रशासन ने जीपीएस लगे हुए ट्रकों में अनाज भेजना शुरू किया. माल पहुंचाने वाले को राशनिंग की दुकान पर समय के भीतर माल उतारकर बायो मेट्रिक सिस्टम के जरिए अपनी एंट्री करवानी पड़ती है.

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार काम बिलकुल इसी तरह से होता है. माल निकलकर राशनिंग की दुकानों पर जाता है और एंट्री भी होती है. इसके बाद शुरू होता है चोरी का खेल. अनाज माफिया ने राशनिंग दुकानदारों से सेटिंग कर ली है. दिन में राशनिंग की दुकानों में माल पहुंचा देते हैं. अपनी आवश्यकता के अनुसार राशनिंग दुकानदार माल रखता है और बाकी का माल इन कालाबाजारी करने वालों को लौटा देता है. शाम होते ही वाहनों से दोबारा माल बटोर लिया जाता है. दिनेश आकरे, नरेंद्र मेहर और बंडू बनोदे नामक शख्स इस धंधे के मास्टर माइंड हैं. ये 3 लोग ही राशनिंग दुकानों से माल उठवाते हैं. बाद में ये माल ट्रकों में कलमना मार्केट के अनाज बाजार में पहुंचता है. यहां व्यापारी अपनी आवश्यकता के अनुसार माल खरीद लेते हैं. खुलेआम बाजार में सरकारी अनाज बोरी से माल खाली किया जाता है.

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यहां मजदूर महिलाओं से माल प्लास्टिक की बोरियों में डलवाया जाता है. कलमना बाजार में आकरे, मेहर और बनोदे के गुर्गे सक्रिय रहते हैं. हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है. प्रशासन से जबरदस्त सेटिंग केवल आपूर्ति विभाग ही नहीं, बल्कि पुलिस विभाग से भी इन चोर व्यावसायियों की जबरदस्त सेटिंग है. कई वर्षों से तीनों इस काम में सक्रिय हैं. कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण आला अधिकारी चाहकर भी इन पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं. ये सब काम चलता है अज्जू अग्रवाल नामक व्यापारी की देखरेख में. अग्रवाल इस गिरोह का मास्टर माइंड है, जो अनाज कलमना में नहीं बिकता वो अनाज सीधे मौदा के सावली स्थित अग्रवाल के गोदाम में पहुंच जाता है. इस गोदाम में बाकायदा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. रास्ते में ही अग्रवाल के चार कर्मचारी आने-जाने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं. बाहरी व्यक्ति की एंट्री होते ही सब सतर्क हो जाते हैं. अग्रवाल का सबसे बड़ा काम शक्कर का है.

उल्लेखनीय यह है कि प्रशासन चाहकर भी कोई एक्शन न ले पाए, इसके लिए बड़ी ही फुर्ती से माल का निपटारा किया जाता है. रातोंरात माल निजी बोरियों में डालकर या तो राइस मिलों में भेज दिया जाता है. चावल की कीमत बढ़ाने के लिए पॉलिश करने के लिए राइस मिलों में भेजा जाता है. राशनिंग का चावल थोड़ा मोटा होता है, लेकिन दक्षिण भारत में इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है. रोजाना ट्रकों में माल हैदराबाद, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडू भेज दिया जाता है.

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