Published On : Thu, Mar 29th, 2018

न्यायपालिका में सरकारी हस्तक्षेप?

Advertisement


नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा के विरुद्ध महाभियोग की सुगबुगाहट के बीच, न्यायपालिका में अनावश्यक/असंवैधानिक सरकारी हस्तक्षेप के गंभीर आरोप के भी सामने आने से इस आरोप की पुनः पुष्टि हो गई कि न्यायपालिका में सबकुछ ठीकठाक नहीं है।

सर्वोच्चन्यायलाय के दूसरे नम्बर के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर मांग की है कि विभिन्न अदालतों में जजों की नियुक्ति में सरकार के सीधे हस्तक्षेप पर सर्वोच्चन्यायलाय की पूरी कोर्ट सुनवाई करे।

21 मार्च को लिखे अपने पत्र की प्रति न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने सर्वोच्चन्यायलाय के अन्य 22 न्यायाधीशों को भी अग्रसारित की है।

Gold Rate
09 May 2025
Gold 24 KT 96,800/-
Gold 22 KT 90,000/-
Silver/Kg 96,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने आरोप लगाया है कि जजों की नियुक्ति संबंधी सर्वोच्चन्यायलाय कॉलेजियम की अनुशंसाओं को केंद्र सरकार अपनी पसंद/नापसंद के आधार पर स्वीकृत/अस्वीकृत करती आ रही है।ऐसे भी दृष्टांत हैं जब कॉलेजियम द्वारा दोबारा अनुशंसित नाम को भी सरकार ने अस्वीकार कर दिया।जबकि, संवैधानिक प्रावधान के अनुसार दोबारा भेजे गए नाम को सरकार द्वारा स्वीकार करना अनिवार्य है।

कुछ अन्य उदाहरण देते हुए न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश श्री मिश्रा से मांग की है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए, सर्वोच्चन्यायलाय की पूरी कोर्ट इस पर विचार कर फैसला करे।

जाहिर है कि पिछले दिनों सर्वोच्चन्यायलाय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य न्यायाधीश श्री मिश्रा के खिलाफ जो आरोप लगाए थे, उसकी तपिश अभी मौजूद है।

Advertisement
Advertisement