Published On : Thu, Jul 4th, 2019

गोंदियाः कानून को कुचल रहे रेत माफिया

बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने में जिला खनिकर्म विभाग नाकाम

गोंदिया: कोर्ट की पाबंदी के आदेश के बाद भी गोंदिया जिले की नदियों से अवैध खनन जारी है तथा सांझ ढलने के बाद नियमानुसार खनन बंद हो जाना चाहिए लेकिन रात के वक्त भी रेती से भरे डम्बर और ट्रैक्टर-ट्राली सड़क पर बे-रोक टोक चलते दिखायी देते है।

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रेती का अवैध खनन रोकने और रेत माफियाओं पर लगाम कसने हेतु जिला खनिकर्म विभाग अधिकारी पुरी तरह से नाकाम साबित हो रहे है।

शासन की जरा सी सख्ती होने पर ये वाहन या तो सुरक्षित रूट बदलकर गोंदिया आ जाते है या फिर शार्टकट रास्तों पर चलते है। यहां तक कि, रेती की सप्लाय करने वाले इस धंधे से जुड़े कारोबारी घाट से घाट तक अवरोध हटाकर खुद मार्ग बना लेते है।

इस तरह कई जगहों के कच्चे रास्तों को ईंटें डालकर पक्का बना दिया गया है और रेती से भरे डम्बर, हाईवा, ट्रक, लॉरी, ट्रैक्टर जैसे वाहनों को इनके चालक, खुद रास्ता बनाकर निकाल लेते है। अगर कभी पुलिस अलर्ट होकर इन वाहनों को कब्जे में लेने का प्रयास करती है तो कई अवसरों पर ये रेत माफिया पुलिस पर भी हमला करने से नहीं चूकते ।

गोंदिया के तेढ़वा घाट से 500 ब्रास रेती चोरी
गत 3 वर्षों से गोंदिया तहसील के तेढवा घाट की ऑनलाईन निलामी संभव नहीं हो सकी है। इस इलाके के मंडल अधिकारी देवेंद्र पोरचट्टीवार है तथा पटवारी ठाकरे मैडम, इन राजस्व अधिकारियों की यह जवाबदेही है कि, इस घाट की संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्‍चित की जाए और शासकीय गौण खनिज को चोरी होने से बचाया जाए, लेकिन आप चौंक जाएंगे, इस तेढवा रेती घाट से 5 मई 2019 से 1 जुलाई 2019 के दरमियान इन 55 दिनों के भीतर रात के वक्त अंधेरे का लाभ उठाकर किन्हीं अज्ञात दबंग रेत माफियाओं ने 500 ब्रास शासकीय गौण खनिज चुरा लिया है।

यह हम नहीं कहते, खुद दासगांव के मंडल अधिकारी फिर्यादी देवेंद्र हिरालाल पोरचेट्टीवार (50 निवासी रामनगर) ने जाकर रावणवाड़ी थाना प्रभारी को जानकारी दी है और बकायदा 3 जुलाई बुधवार को अज्ञात रेती चोरों के खिलाफ धारा 379 का मामला दर्ज कराया है। इस प्रकरण की जांच प्रभारी पुलिस निरीक्षक सचिन वांगडे कर रहे है।

अब सवाल यह उठता है कि, 500 ट्रैक्टर रेती कोई अज्ञात रेत माफिया उठा ले गए और जिला खनिकर्म विभाग व राजस्व अधिकारी कुंभकर्णीय नींद सोते रहे? कहीं एैसा तो नहीं , यह मामला ही सारा आपसी साठगांठ का है? और अब खुद की नौकरी पर कहीं आंच न आ जाए इसलिए मामले की लीपापोती करने के लिए किन्हीं अज्ञात चोरों पर ही मामला दर्ज कराया जा रहा है?

जानकारों की मानें तो संबधित राजस्व विभाग अधिकारियों को यह अच्छी तरह से मालूमात होती है कि, उनके इलाके के आसपास कौन-कौन से घाट है? और उनके ठेकेदार कौन-कौन है? कुल मिलाकर अब बचने के रास्ते ढूंढे जा रहे है इसलिए जिलाधिकारी को यह चाहिए कि, इस सारे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाकर संबधितों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।

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