गोंदिया: बाल विवाह कानूनी अपराध है। इस पर दो वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार विवाह के लिये वधू की आयु 18 वर्ष एवं वर की आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। इससे कम आयु की शादी बाल विवाह की श्रेणी मे आती है।
लेकिन आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में अपना आर्थिक बोझ कम करने के लिए गरीब परिवार अपनी नाबालिग बेटियों की शादी करवा देते है।
इसी बीच तिरोड़ा तहसील के ग्राम मेंदीपूर ढिवरटोला में एक 15 वर्षीय बालिका का नियोजित बाल विवाह ग्रामीणों व जिला प्रशासन द्वारा रुकवा दिया गया।
रिती रिवाज के अनुसार विवाह 2 जून 2025 को प्रातः 9 बजे निर्धारित किया गया। विवाह स्थल पर दुल्हन पक्ष के मेहमान दुल्हन के घर पहुंच चुके थे। शादी का मंडप और भोजन भी तैयार था।
जैसे ही गांव के स्थानीय लोगों को इसकी गुप्त सूचना मिली, वे विवाह स्थल पर पहुंचे और लड़की का आधार कार्ड और टीसी एकत्र किया। इसके आधार पर जब लड़की की उम्र की जांच की गई तो लड़की की उम्र 15 वर्ष 05 माह थी।
इसलिए वहां उपस्थित लोगों को समझाया कि यह बाल विवाह है जो कि कानूनन अपराध है। इसलिए इस विवाह समारोह को तुरंत रोक दिया जाए और दूल्हे पक्ष को तुरंत फोन करके सूचित किया जाए कि यह विवाह समारोह इसलिए रोका जा रहा है क्योंकि लड़की नाबालिग है, यह सुझाव वधु पक्ष को दिया गया।
पहले तो लड़की के रिश्तेदार कुछ सूनने को तैयार नहीं थे, लेकिन जब उन्हें बाल विवाह अधिनियम के बारे में बताया गया तो लड़की के मामा ने दूल्हे पक्ष को फोन करते कहा कि, वे बारात मत लेकर आए, जहां है वहीं रुक जाए जिसके कारण दुल्हे की बारात विवाह स्थल पर नही पहुंची।
बताया जाता है कि, बालिका के माता- पिता नहीं है, जब बालिका 6 माह की थी, तब ही बीमारी के कारण दोनों की मृत्यु हो गई थी तब से उसके मामा और दादी बालिका का पालन पोषण कर रहे है।
बालिका की मौसी ने रिश्ते की तलाश की और लड़का अच्छा होने के कारण लड़की भी शादी के लिए तैयार हो गई जिसके बाद सगाई का कार्यक्रम हुआ और 4 जून 2025 को विवाह तय किया गया।
3 वर्षों में 13 विवाह रोके गए हैं , 2 पर हुए हैं मामले दर्ज़
सबसे पहले गांव के स्थानीय लोगों ने विवाह स्थल पर पहुंचकर पूछताछ की और फिर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी कार्यालय के अंतर्गत बाल संरक्षण कक्ष गोंदिया, दामिनी पथक और भारतीय समाज कल्याण सोसायटी गोंदिया को नियोजित बाल विवाह की जानकारी दी।
सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजानन गोबाडे, संरक्षण अधिकारी मुकेश पटले, मनिषा माहुर्ले, धमेंद्र भेलावे, अशोक बेलेकर, ज्ञानेश्वर पटले, दिपमाला भालेराव, दामिनी पथक की पुजा सुरलकर, प्रशांत बंसोड़, वैशाली भांदकर, पुनम मंजुरे, प्रिती बुरेले, सुवर्णा मड़ावी ने विवाह स्थल पर पहुंचकर नियोजित बाल विवाह को रुकवा दिया।
बता दें कि, जिला बाल संरक्षण कक्ष ने पिछले तीन वर्षों में कुल 13 बाल विवाह रोकने में सफलता प्राप्त की है, इनमें 2 मामले दर्ज किए गए है। यदि जिले में कहीं भी इस प्रकार का बाल विवाह हो रहा हो तो जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित चाइल्ड हेल्प लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 पर संपर्क करें। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा।
रवि आर्य