Published On : Tue, Jul 15th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया: संतों की वाणी उनके शब्द आत्मा का अमृत है

सनातनी हिंदू होना फक्र की बात , सिंधी भाषा रहेगी जिंदा तभी हमारी पहचान रहेगी बिंदास- साईं छोटूराम

गोंदिया शहर के सिंधी कॉलोनी क्षेत्र में 13 एवं 14 जुलाई को खास भक्ति भरा का माहौल देखने को मिला ,मौका था पूज्य बाबा प्रतापराय साहब के 24 वें वर्सी महोत्सव का । रविवार शाम गाजे बाजे के साथ भवानी चौक से रथ पर सवार संतों की शोभायात्रा पहुंची इस अवसर पर बाबा अमरदास उदासी ने फूल मालाओं से संतों का स्वागत किया। संतों की शोभायात्रा भवानी चौक से झूलेलाल द्वार होते हुए पुज्य सचखंड दरबार पहुंची जहां आरती उतारी गई वहीं तपस्वी संत भी आशीर्वाद देते नज़र आए।

दरबार में इष्टदेव साईं झूलेलाल की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन व अरदास पश्चात , पूज्य सिंधी जनरल पंचायत व क्षेत्रीय पंचायतों तथा सचखंड दरबार महिला जागृति समिति की ओर से सीमा उदासी ने संतो के शुभागमन पर पूज्य साईं वसणशाह दरबार ( उल्हासनगर ) के छोटे नवाब साईं छोटूराम साहब , मध्य प्रदेश के सिवनी आश्रम के संत साईं संतूराम साहब , नागपुर के साईं फकीरा साहब , साईं कमलेश जग्यासी , वड़सा के साईं सन्नी जग्यासी इनका शाल ,श्रीफल पुष्पगुच्ष देकर स्वागत सत्कार किया गया।

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क्या रखा है खुशियों में मज़ेदार हैं गम

अपने संगीतमय प्रवचन में साईं छोटूराम साहब ने कहा- क्या रखा है खुशियों में मज़ेदार है गम ?
खुशियां तो आनी जानी है तात्कालिक होती हैं चटपट बीत जाती है लेकिन गम गहरे होते हैं कुछ सिखा जाते हैं इसलिए गम से डरना नहीं उनसे दोस्ती कर लेना।

जो सुख में सिमरन करें दुख काहे को होय..
संतो के वचनों में छुपा होता है जीवन का सार इसलिए उन्हें ध्यान से सुनो , संतों की वाणी- उनके शब्द आत्मा का अमृत है।
कोई पूछे तो फक्र से कहो हम सिंधी हैं.. सनातनी हिंदू सिंधी होना सिर्फ एक जातीय पहचान नहीं यह संस्कृति सभ्यता की संतान होने का गौरव है। मोहन-जो-दड़ो की दीवारें आज भी गवाह है कि सिंधियों के पुरातन विरासत की ,यह सभ्यता सिर्फ भाषा नहीं , संस्कृति और ज्ञान में भी रही है।

सिंधी बोली (भाषा) संस्कृति पहचान और अस्तित्व के रक्षा की पुकार है इसलिए मिलकर संकल्प लें सिंधी बोलेंगे.. सिखाएंगे और बचाएंगे।
धर्म परिवर्तन पर संतश्री ने कहा- धर्म है तो अस्तित्व है , धर्म नहीं तो सब कुछ व्यर्थ है इसलिए दुनिया में कुछ भी करो अपना धर्म , अपनी आस्था संस्कृति और पहचान की विरासत कभी मत छोड़ो।

रवि आर्य

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