गोंदिया। जिले में एक करोड़ की हाईप्रोफाइल ठगी का भंडाफोड़ कर पुलिस ने अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और मास्टरमाइंड राजेश नायर की तलाश तेज कर दी है लेकिन इस पूरे मामले में अब एक नया सवाल खड़ा हो गया है – पुलिस प्रेस नोट में “चावल सौदा” शब्द क्यों गायब कर दिया गया ?
मां शक्ति राइस मिल ( लांजी रोड- आमगांव ) के संचालक फरियादी वीरेंद्रकुमार राधेश्याम लिल्हारे ने अपनी शिकायत में स्पष्ट उल्लेख किया था कि आरोपियों ने 10 कंटेनर चावल का सौदा दिखाकर उन्हें एक करोड़ रुपये नकद देने के लिए तैयार किया और फिर रकम भरी बोरी लेकर ऑटो में बैठ रफूचक्कर हो गए।
अपराध क्रमांक 791/ 2025 के धारा 318 (4) 3 (5 ) बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस का भी यही तथ्य सामने आया “चावल सौदे के -नाम पर एक करोड़ की ठगी ” हुई है।
प्रेस नोट में बदल गई कहानी , क्या है सच ?
जब गोंदिया पुलिस ने 25 सितंबर के शाम प्रेस नोट जारी किया, तो उसमें पूरा घटनाक्रम तो विस्तार से लिखा गया जैसे- आरोपी कौन थे ? कहाँ से पकड़े गए ? किस कार का इस्तेमाल हुआ ? रकम किसके पास है ? फरार मास्टरमाइंड कौन है ?
लेकिन “चावल सौदा” का शब्द एक बार भी इस्तेमाल नहीं हुआ। नोट में सिर्फ इतना कहा गया-कि ” एक करोड़ की ठगी।”
आखिर क्यों हटाया गया “चावल सौदा ” ?
यहाँ सवाल उठता है कि पुलिस ने इतने अहम बिंदु को प्रेस नोट से क्यों हटाया , इसके पीछे तीन संभावित वजहें सामने आ रही हैं।
अगर पुलिस ने प्रेस नोट में साफ लिख दिया होता कि ठगी “चावल सौदे” में हुई है, तो इससे जिले और आसपास के राइस मिल कारोबारियों की साख पर असर पड़ सकता था , बाजार में अविश्वास का माहौल न फैले, इसीलिए “चावल” शब्द गायब कर दिया गया।
दुसरा- जांच की दिशा को छुपाना , संभव है कि पुलिस नहीं चाहती कि मीडिया और जनता को यह पता चले कि ठगी किस तरह के सौदे में हुई , क्योंकि इससे बाकी संभावित पीड़ित या आरोपी सतर्क हो सकते थे।
तीसरा-प्रेस नोट को सरल बनाना , कुछ सूत्रों का मानना है कि पुलिस ने केवल “एक करोड़ की ठगी” लिखकर मामला साधारण फ्रॉड की तरह प्रस्तुत किया, ताकि प्रेस नोट ज्यादा तकनीकी या उलझाऊ न लगे।
नोट के बदले नोट ? सवाल अब भी बाकी !
क्या यह ” रकम के बदले रकम ” यानी ” एक के तीन ” का सौदा था ? यह सवाल उठना लाज़मी है ।
जब फरियादी की एफआईआर और शुरुआती जानकारी में “चावल सौदा” शब्द साफ था, तो पुलिस प्रेस नोट में इसका जिक्र क्यों नहीं किया गया ?
क्या पुलिस ने जानबूझकर इस बिंदु को दबाया, या यह सिर्फ नोट तैयार करने में ‘चूक’ थी ?
पहले हुई तीन गिरफ्तारी, अब.. छिंदवाड़ा से 3 दबोचे गए
पुलिस की यह कार्रवाई निश्चित रूप से सराहनीय है कि उसने ठगी कांड के तीन आरोपियों रामेश्वर धुर्वे , हेमलता बैस दोनों निवासी छिंदवाड़ा और दीप्ति मिश्रा ( निवासी सिविल लाइन गोंदिया ) को पूर्व में नामजद किया , कोर्ट ने 30 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर भेजा है।
अब आरोपी ईशांत राजेश नायर (23 ) अजय माखन धुर्वे ( 24 ) अमित दीपक करोसिया ( 39 ) इन्हें छिंदवाड़ा से गिरफ्तार किया है वारदात में इस्तेमाल की गई सिल्वर रंग की इको स्पोर्ट्स कार ( MP- 28/ CA-2922 ) जो ईशांत नायर की थी उसे भी जब्त कर लिया गया है और रकम लेकर फरार हुए इस गैंग के मुख्य सूत्रधार ( मास्टरमाइंड ) राजेश विश्वनाथ नायर ( 49 , शारदा चौक- छिंदवाड़ा ) की तलाश जारी है लेकिन प्रेस नोट से “चावल सौदा” शब्द हटने से अब मामला और पेचीदा हो गया है , जनता और कारोबारी वर्ग अब यही पूछ रहे हैं- ठगी में चावल कहां गया ?
क्या 100- 200 के नोट के रूप में असली एक करोड़ की राशि लेकर ठगबाजों द्वारा सूटकेस में 3 करोड़ के ( 500 रूपए अंकित ) मनोरंजन नोट थमाए गए ?
कहते हैं- झूठ के पांव नहीं होते ? ऐसे में पुलिस को भी मीडिया के सामने मामले का सच बताना चाहिए ?
रवि आर्य