Published On : Wed, Apr 16th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया: डीजल के अभाव में बेपटरी हुई BGW अस्पताल की सरकारी एंबुलेंस सेवा

कौन सुने फरियाद ? गत 6 माह से गर्भवती महिला मरीजों को झेलनी पड़ रही दुश्वारी
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गोंदिया। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वरदान साबित होने वाली सरकारी एंबुलेंस पर गत 6 माह से डीजल के फंड की कमी का संकट गहरा गया है लेकिन इस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है जिसके चलते बाई गंगाबाई जिला महिला अस्पताल परिसर में एंबुलेंस महज़ शो-पीस बनकर खड़ी हुई है।

बीजीडब्ल्यू अस्पताल प्रशासन द्वारा जिम्मेदारों को पत्र लिखकर डीजल के अभाव में आपातकालीन एंबुलेंस सेवा के पहिए थम जाने की जानकारी दी गई लेकिन पिछले 6 माह से एंबुलेंस के डीजल के लिए शासन से धनराशि उपलब्ध न कराए जाने से जिला महिला अस्पताल की तीन एंबुलेंस समेत ग्रामीण अस्पतालों की दो एंबुलेंस के पहिए थक गए हैं यदि अगले 8 से 10 दिनों में धनराशि उपलब्ध नहीं हुई तो जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और ग्रामीण अस्पतालों की सभी 56 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा ठप हो जाएगी ।

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बता दें कि एंबुलेंस सेवा बंद होने से गरीब गर्भवती महिला मरीजों को दुश्वारी झेलनी पड़ रही।ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार पर निर्भर उस गरीब जनता का क्या होगा जो यही सोचकर सरकारी अस्पताल में आते हैं कि उन्हें अच्छा इलाज मिलेगा और जरूरत पड़ने पर घर तक एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

टूट फूट , मरम्मत और डीजल के लिए प्रति मरीज महज़ ढाई सौ रुपए का फंड , नाकाफी

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं तथा एक वर्ष के बच्चों को उपचार के लिए तथा उपचार के बाद उन्हें घर पहुंचाने के लिए सरकारी अस्पतालों द्वारा एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाती है इसके लिए सरकार द्वारा टूट फूट ,मरम्मत और डीजल के लिए प्रति मरीज ढाई सौ रुपए का फंड उपलब्ध कराया जा रहा है जो नाकाफी है।

चूंकि दी जाने वाली सब्सिडी की राशि बहुत कम है और सब्सिडी समय पर नहीं मिलती इसलिए एंबुलेंस में डीजल भरवाने के लिए पैसे भी नहीं है इसलिए जिला महिला अस्पताल प्रशासन के लिए एंबुलेंस को खड़ी करने की नौबत आ गई है।

परिणाम स्वरूप जिले के देवरी , चिचगढ़ , अर्जुनी मोरगांव और दूर-दराज के तहसीलों से जो गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाएं आ रही हैं उनको घर तक छोड़ना मुश्किल हो गया है।

कमोवेश यही हालत संजीवनी एक्सप्रेस 108 की भी होती जा रही है जो फंड के अभाव में दम तोड़ने के कगार पर है नतीजतन लोग घायलों और गर्भवती महिलाओं को अपने निजी वाहन से अस्पताल ला रहे हैं।

मरीज के रिश्तेदार ने सुनाया दुखड़ा

मरीज के रिश्तेदार ने अपना दुखड़ा सुनाते बताया कि- घर की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर सरकारी अस्पताल में कॉल किया डीजल ना होने का कारण बताकर एंबुलेंस सेवा देने से इनकार किया गया अब मरीज को वापस घर ले जाने के लिए जेब में पैसे नहीं है , उलझन इस बात की है कि अब क्या करें ?

प्रत्येक एंबुलेंस की मासिक लागत 80 हज़ार से 1 लाख के बीच

एंबुलेंस सेवा महत्वपूर्ण चिकित्सीय सुविधाओं में से एक है इसकी मदद से गर्भवती महिला , दुर्घटना में घायल होने वाले पीड़ितों को तत्काल अस्पताल पहुंचा कर जान बचाने का काम किया जाता है बाई गंगाबाई जिला महिला अस्पताल की अधीक्षक डॉ.निकिता पोयाम ने जानकारी देते बताया , बीजीडब्ल्यू अस्पताल , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और ग्रामीण अस्पतालों में कुल 56 एंबुलेंस है प्रत्येक एंबुलेंस की मासिक लागत 80000 से 1 लाख रूपए के बीच है।पर्याप्त धन की कमी के कारण यह समस्या बढ़ती जा रही है अगर सरकार ने अगले 8 से 10 दिनों में धनराशि उपलब्ध नहीं कराई तो संजीवनी एक्सप्रेस के नाम से जाने जाने वाली 56 एंबुलेंस के पहिए थमने की भी संभावना है , परिणाम स्वरूप गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं ।

रवि आर्य

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