Published On : Sun, Oct 24th, 2021
Latest News | By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया: गाय के गोबर के दीयों से रोशन होगी दिवाली

Advertisement

इको फ्रेंडली वैदिक पद्धति से निर्मित दीयों की डिमांड बढ़ी

गोंदिया। दीपावली पर लोग अपने घरों को दीयों से सजाते हैं , चारों तरफ दीयों की रोशनी फैलने से पूरा घर जगमगा उठता है। पहले समय में मिट्टी से तैयार दीये मिलते थे आजकल बाजारों में अलग-अलग डिजाइन के दीये देखने को मिलते हैं। मगर आस्था के साथ गीर गाय के गोबर से वैदिक पद्धति द्वारा निर्मित दीये वातावरण में शुद्धि रखने का संदेश देते हैं।

गोंदिया शहर से सटे ग्राम चुटिया स्थित लक्ष्मी गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट मैं इन दिनों गाय के गोबर से बने इको फ्रेंडली दीये रोजाना सैकड़ों की संख्या में तैयार किए जा रहे हैं जो वैदिक परंपरा को जीवित रखकर तमसो मां ज्योतिर्गमय का संदेश देते हैं।

हाईटेक युग में गोबर से बने दिए खूबसूरत छटा बिखेर रहे
लक्ष्मी गोशाला चैरिटेबल ट्रस्ट की संचालिका प्रीति ऋषि टेंभरे ने कहा-गौ- संस्कृति को पुनर्जीवित कैसे किया जाए ? लोगों में गौ सेवा के प्रति जागरूकता निर्माण करने और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिले तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए स्थानीय महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए इसी मकसद इस गौशाला में दीपक के साथ साथ मन को मोह लेने वाली इको फ्रेंडली राखियां , मूर्तियां , तोरण , शुभ- लाभ तथा ओम शक्ति श्री के कॉइन सहित वॉल हैंगिंग , मोबाइल स्टैंड जैसी सारी कलात्मक वस्तुएं गीर गाय के गोबर से निर्माण की जाती है।

मौजूदा वक्त में चीन निर्मित प्लास्टिक दीयों को लोग खारिज करते हुए अब वैदिक पद्धति से गाय के गोबर द्वारा निर्मित दीयों को बढ़ावा दे रहे हैं।
हाईटेक युग में यह गोबर के दिए अपने अलग-अलग आकार और डिजाइन से अपनी खूबसूरती की छटा बिखेर रहे होते हैं ।
इस दीपक के लौ का संदेश बेहद दी बेशकीमती है जो पर्यावरण के लिए भी बेहद अहम है।


पंच गौ दीपक 50 रुपए दर्जन , कलरफुल दीये 100 रुपए दर्जन
प्रीति ऋषि टेंभरे ने जानकारी देते बताया- पंच गव दीपक ( 50 रुपए दर्जन ) और कलरफुल नक्काशीदार दीये ( 100 रूपए दर्जन ) के हिसाब से इन्हें मार्केट में उतारा गया है।

दीये बनाना – सुखाना इसमें समय लगता है बावजूद इसके इस वर्ष 40 हजार दीयों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया जिसमें से 30,000 से अधिक अब तक बन चुके हैं।

तथा इनकी डिमांड मुंबई सहित महाराष्ट्र के अन्य शहर तथा गुजरात प्रदेश के सूरत, वलसाड़, अहमदाबाद , भावनगर और तेलंगाना, हैदराबाद में सबसे अधिक है।

यहां ट्रेन और ट्रांसपोर्ट की मदद से संबंधित व्यापारियों को माल भेजा जाता है।

समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूरा एहसास हो इस सोच के साथ इस गौशाला को शुरू किया गया।

मौजूदा वक्त में लक्ष्मी गौशाला में 200 से 250 गीर गाय और अन्य गोवंश हैं।

इस गौशाला के द्वारा बचत गट से जुड़ी 35 से अधिक स्थानीय महिलाओं को और 5 पुरुष कर्मचारियों को वर्ष भर रोजगार उपलब्ध हो रहा है।

रवि आर्य